बसंत पंचमी 2023 के शुभ मुहूर्त की जाने उदया तिथि
बसंत पंचमी उदया तिथि के अनुसार मनाई जाएगी जो 10:49 तक रहेगी संजय किसका प्रारंभ 25 जनवरी को 12 वर्ष 12.34 मिनट से हैं सरस्वती के इस मंत्र को पढ़े और करे मनोकामना पूर्ण।
Basant Panchami 2023 : बसंत पंचमी एक हिन्दू त्यौहार है इस दिन ज्ञान और विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है इस पूजा को पूर्वी भारत पश्चिम बंगाल नेपाल समेत कई अनेको राष्ट्रों में बड़े हषोल्लास के साथ मनाया जाता है ज्योतिष शिरोमणि एवं निदेशक अलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम विज्ञान अनुसंधान केंद्र जौनपुर, डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह के अनुसार बसंत पंचमी का महापर्व इस वर्ष माघ शुक्ल पक्ष 5 को बृहस्पतिवार के दिन 26 जनवरी को पवित्र शुभ मुहूर्त मे पड़ रहा है जो सही मायनों में ज्ञान विज्ञान धर्म अध्यात्म और व्यवहार में बसंत ऋतु के आगमन का सूचक है । बसंत पंचमी उदया तिथि के अनुसार मनाई जाएगी जो 10:49 तक रहेगी संजय किसका प्रारंभ 25 जनवरी को 12 वर्ष 12.34 मिनट से हैं l
ऐसे में वर्तमान समय में ठंड औरशीत लहर समाप्त हो चुका है चारों ओर् फल और नए नए पत्ते और फूल खिल रहे हैं इस वर्ष बसंत पंचमी 26 जनवरी की दोपहर के बाद 12:34 पर शुरू होगी जो 26 जानवरी को 10:49 तक रहेगी । इसलिए 26 जानवरी को 10.49 तक बसंत पंचमी का शुद्ध मान रहेगा माता सरस्वती की कृपा अपरंपार है और संपूर्ण विज्ञान ज्ञान कला कौशल गीत संगीत सबकुछ भगवती सरस्वती की ही देन है और उन्हीं की कृपा से मनुष्य जानवरों और अन्य प्राणियों से अलग हो सका है कहा जाता है कि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने देवी सरस्वती को वरदान दिया था और ब्रह्मा जी ने अनेक शुभ कार्य किये थे ।
बसंत पंचमी पर पीले रंग की प्रधानता ऐसे होती है सरस्वती की पूजा :
इस दिन माता सरस्वती का श्रृंगार पीले रंग की पोशाक फूलों और पत्तों से करके पीले रंग की प्रधानता के साथ ही धूप दीप नैवेद्य ऋतु में प्राप्त फल मेवा के शरीयत पीले रंग के मीठे चावल अर्पित किए जाते हैं और सफलता प्राप्त करने के लिए सरस्वती मंत्र का जाप ओम ऐं सरस्वत्यै ऐं नमः। पढ़ा जाता है आज का दिन देवी रति और काम के देवता कामदेव का भी महापर्व है।सुबह स्नान करके मां सरस्वती जी का संकल्प लेकर अपने शक्ति और सामर्थ्य के अनुसार व्रत उपवास करके सरस्वती मां की पूजा करके अपने पढ़ाई प्रतियोगिता और धर्म कर्म का ध्यान करना चाहिए । यह भी ज्ञात रहे कि आज के दिन ही रेड का पेड़ गाडकर होलिका दहन की तैयारी की जाती है पेड़ उपलब्ध नहीं होने पर डाल ही स्थापित की जाती है वास्तव में आज के दिन से ही जाड़े की ऋतु का समापन और बसंत ऋतु का शुरुआत हो जाता है ।
देवी सरस्वती की महिमा अनंत है कितनी ही बार उन्होंने अपने वारी कौशल से कुंभकरण और महिषासुर नरकासुर और मोर जैसे भयानक दैत्य और राक्षसों की वाणी को बदलकर सृष्टि देवताओं और संसार की रक्षा किया था । या कुंदेंदु तुषार हार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता या वीणा वर दंड मंडित करा या श्वेत पद्मासना या ब्रह्मा च्युत शंकर प्रवृत्ति विरदेव सदा वंदिता सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेष जाड्या पहा।
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