Navratri : चैत्र नवरात्री में देवी के नौ स्वरूपों की जाने पूजा विधि,कलश स्थापना मुहूर्त
इस वर्ष 2023 में पड़ने वाला चैत्र नवरात्रि का महापर्व चैत्र शुक्ल पक्ष विक्रम संवत 2080 दिन बुधवार को शुरू हो रहा है अंग्रेजी पंचांग के अनुसार 22 मार्च 2023 को navratri प्रारंभ होगा चैत्र शुक्ल पक्ष का प्रथम दिन रात में 9:24 तक रहेगा जबकि कल इस संबंध 5125 श्री कृष्ण संवत 5249 भी इसी दिन से प्रारंभ होगा आदिशक्ति भगवती पार्वती अथवा दुर्गा माता की नौ शक्तियों की पूजा नवरात्रि में की जाती है l
- देवी माँ के नाम क्रमशःशैलपुत्री ब्रह्मचारिणी चंद्रघंटा कुष्मांडा स्कंदमाता कात्यायनी कालरात्रि महागौरी और सिद्धिदात्री हैं यह परम पावन शक्ति का महापर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है एक बासंतिक नवरात्रि दूसरा शारदीय नवरात्रि शारदीय नवरात्रि क्वार महीने में पड़ता है ,
CHAITRA NAVRATRI 2023 नवरात्री शुभ मुहूर्त : ज्योतिष शिरोमणि डाक्टर दिलीप सिंह अनुसार: 22 मार्च दिन बुधवार से सुरु हो रहे चैत्र नवरात्री देवी माँ की पूजा अर्चना के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है नव रात्रि के नौ दिनों तक विशेष रूप से देवी मौ की श्राद्धपूर्वक पूजा अर्चना करते हुए देवी का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है चैत्र नवरात्रि का आनेवाला वाला यह महापर्व परम अद्भुत और अनोखा होता है इस महापर्व का प्रथम दिन आदिशक्ति से शुरू होकर अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री देवी के हवन पूजन के बाद भगवान श्री राम के सुख जन्मदिन के उपलक्ष में मनाया जाता है जिसे श्री राम नवमी के नाम से संबोधित किया जाता है l
आइये जानते है CHAITRA NAVRATRI के कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और नियम
वैसे तो बसंत ऋतु में पड़ने वाली है नवरात्रि रात्रि में 21 मार्च को 10:53 से यह प्रारंभ हो जा रही हैं और 22 मार्च को 9:49 में समाप्त होगी इसलिए बिना किसी संदेह के उदया तिथि के अनुक्रम में पूरे भारत में 22 मार्च को यह महापर्व शुरू होगा और इसी दिन नया भारतीय वर्ष भी प्रारंभ होगा जो कई रूपों में मनाया जाता है इस दिन गर्ल कलश या घट स्थापना का शुद्ध और सर्वप्रिय मुहूर्त सुबह 6:23 से सुबह 7:00 तक केवल 27 मिनट का है जबकि यह मीन लग्न में सुबह 6:30 से प्रारंभ हो रहा है l
ऐसे करें कलश स्थापना के बाद चौकी की स्थापना
1. सबसे पहले एक लकड़ी की चौकी को गंगाजल या स्वच्छ जल से धोकर पवित्र कर लें।
2. अब इसे साफ कपड़े से पोछकर लाल कपड़ा बिछाएं।
3. चौकी के दाएं ओर कलश रखें।
4. चौकी पर मां दुर्गा की फोटो या प्रतिमा स्थापित करें।
5. माता रानी को लाल रंग की चुनरी ओढ़ाएं।
6. धूप-दीपक आदि जलाकर मां दुर्गा की पूजा करें।
7. नौ दिनों तक जलने वाली अखंड ज्योति माता रानी के सामने जलाएं।
8. देवी मां को तिलक लगाएं।
9. मां दुर्गा को चूड़ी, वस्त्र, सिंदूर, कुमकुम, पुष्प, हल्दी, रोली, सुहाग का सामान अर्पित करें।
10. मां दु्र्गा को इत्र, फल और मिठाई अर्पित करें।
11. अब दुर्गा सप्तशती के पाठ देवी मां के स्तोत्र, सहस्रनाम आदि का पाठ करें।
12. मां दुर्गा की आरती उतारें।
13. अब वेदी पर बोए अनाज पर जल छिड़कें।
14. नवरात्रि के नौ दिन तक मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करें। जौ पात्र में जल का छिड़काव करते रहें।
Different forms of the mother are worshiped on different days during Navratri. : जहां तक नव दिन नव शक्ति की देवियों की पूजा उपासना का यह महापर्व है तो प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा होगी उनका रंग नीला और शुद्ध देसी घी गाय का चढ़ावा चढ़ेगा दूसरा दिन ब्रह्मचारिणी देवी का है जिन्हें पीला रंग और चीनी तथा फल पसंद है अर्थात पीला रंग पहनकर चीनी और फल का भोग लगाना चाहिए l
इसी तरह चंद्रघंटा देवी को खीर दूध और मिठाई पसंद है और इनका प्रिय रंग हरा होता है चौथे दिन देवी कुष्मांडा को भूरा रंग पसंद है और इन्हें मालपुआ का भोग लगाया जाता है इसी दिन लक्ष्मी पंचमी भी पड़ती है 26 मार्च पांचवा दिन स्कंदमाता का है जिन्हें संतरी रंग और केले का भोग अत्यंत ही पसंद है 27 मार्च को छठा दिन देवी कात्यायनी का है जिन्हें श्वेत रंग अत्यधिक प्रिय है और इनको शहद का भोग लगाया जाता है 28 मार्च को देवी कालरात्रि का दिन है इन्हें लाल रंग अत्यधिक पसंद है और इन्हें नारियल का भोग लगाया जाता है इस दिन को महा सप्तमी भी कहा जाता है आठवां दिन देवी महागौरी का है इन्हें नीला रंग पसंद हैऔर नारियल का भोग लगाया जाता है जबकि देवी सिद्धिदात्री को गुलाबी रंग पसंद है तथा इनको तिल का भोग लगाया जाता है l
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व्रत रखने वालों को दाढ़ी-मूंछ और बाल नहीं कटवाने चाहिए. नौ दिनों तक NAVRATRI में नाखून नहीं काटने चाहिए अगर अखंड ज्योति जला रहे हैं तो इन दिनों घर खाली छोड़कर नहीं जाएं, खाने में प्याज, लहसुन और नॉन वेज न खाएं,नौ दिन का व्रत रखने वालों को गंदे और बिना धुले कपड़े नहीं पहनने चाहिए, व्रत रखने वालों को नौ दिन तक नींबू नहीं काटना चाहिए, व्रत में नौ दिनों तक खाने में अनाज और नमक का सेवन नहीं करना चाहिए, विष्णु पुराण के अनुसार, नवरात्रि व्रत के समय दिन में सोना निषेध है, फलाहार एक ही जगह पर बैठकर ग्रहण करें, चालीसा, मंत्र या सप्तशती पढ़ रहे हैं तो पढ़ते हुए बीच में दूसरी बात बोलने या उठने की गलती कतई ना करें। इससे पाठ का फल नकारात्मक शक्तियां ले जाती हैं, कई लोग भूख मिटाने के लिए तम्बाकू चबाते हैं यह गलती व्रत के दौरान बिलकुल ना करें। व्यसन से व्रत खंडित होता है।
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