Makar Sankranti 2023: जानिए मकर संक्रांति-कब-कैसे- क्यों मानते है ? 

जानिए मकर संक्रांति इस वर्ष 2023 का शुभ मुहूर्त :

इस वर्ष मकर संक्रांति 15 जनवरी रविवार के दिन मनाई जाएगी  सुबह 6:47 से शाम 5:40 तक होगा लेकिन सबसे अच्छा समय सुबह 7:15 से सुबह 9:06 तक रहेगा l

Makar Sankranti 2023 मकर संक्रांति 2023 : ज्योतिष शिरोमणि डॉ दिलीप कुमार सिंह के अनुसार इस वर्ष मकर संक्रांति प्रामाणिक रूप से 15 जनवरी को मनाया जाएगा यद्यपि ग्रहों का अधिपति सूर्य 14 जनवरी  की रात 8:57 पर रख मकर राशि में प्रवेश करेंगे फिर भी उदया तिथि के कारण मकर संक्रांति 15 जनवरी रविवार के दिन मनाई जाएगी l

Makar Sankranti मकर संक्रांति शुभ कर्म योग में मनाई जाएगी और इस दौरान तीन ग्रहों का योग चित्र नक्षत्र सहयोग वाशी योग बालवकरण योग भी पड़ रहे हैं मकर संक्रांति का पुण्य काल 15 जनवरी को सुबह 6:47 से शाम 5:40 तक होगा लेकिन सबसे अच्छा समय सुबह 7:15 से सुबह 9:06 तक रहेगा या भगवान सूर्य का महापर्व है और सारी सृष्टि और सौरमंडल सूर्य के बल पर ही चलता है l

मकर संक्रांति के दिन संभव है तो बहते हुए नदी में या गंगा नदी में या संगम में स्नान करें अन्यथा भगवान सूर्य का नाम लेकर गंगा जल मिलाकर घर में ही स्नान करें और तांबे के लोटे में अक्षत अर्थात बिना टूटा हुआ चावल लाल पुष्प काला तिल मिलाकर स्नान करें यह एक संपूर्ण प्रामाणिक वैज्ञानिक महापर्व है जो सूर्य पर आधारित है इसको मकर संक्रांति उत्तरायण खिचड़ी पोंगल बिहू मकर संक्रांति इत्यादि नामों से जाना जाता है इस काल में सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं इसी दौरान जब तक ध्यान पूजा-पाठ और दान का अत्यधिक महत्व होता है इसी दिन से दिन बड़ा और रात छोटी होने लगते हैं अर्थात या प्रकाश का महापर्व है ज्ञान का और सत्य कभी महापर्व है l

ऐसा माना जाता है कि भगवान सूर्य से दिन अपने पुत्र शनि देव से मिलने उनके घर जाते हैं शनि मकर राशि के देवता हैं इसलिए से मकर संक्रांति कहा जाता है इसी दिन महा प्रतापी परम शूरवीर गंगापुत्र भीष्म पितामह ने इच्छा मृत्यु के बाद स्वर्गारोहण किया था क्योंकि दक्षिण अंशु रहने पर मरने वाले को स्वर्ग नहीं मिलता इसलिए इसे भीष्मा स्त्री पर्व भी कहते हैं और यह भी माना जाता है कि इसी दिन मकर संक्रांति के दिन गंगा मां का स्वर्ग से अवतरण हुआ था और इसी दिन यशोदा ने भगवान श्री कृष्ण के लिए व्रत रखा था l महापर्व में खिचड़ी गुड काला तिल इत्यादि का दान सच्चे मन से किया जाता है काला तिल शनि का प्रतीक तो है ही ऐसा माना जाता है कि इसकी उत्पत्ति भगवान विष्णु से हुई थी वैसे भी तेल शरीर को स्वस्थ निरोग रखता है और शरीर में गर्मी का संचार करता है यह संपूर्ण भारत वर्ष में मनाया जाता है l

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