Home संपादक की कलम JAUNPUR: व्यंगकार एकलव्य की 84वी जयंती पर विचार गोष्ठी का हुआ आयोजन

JAUNPUR: व्यंगकार एकलव्य की 84वी जयंती पर विचार गोष्ठी का हुआ आयोजन

JAUNPUR: A symposium was organized on the 84th birth anniversary of satirist Ekalavya

जौनपुर।वरिष्ठ साहित्यकार, व्यंगकार कृष्णकांत एकलव्य की 84 वी जयंती उनके रुहट्टा स्थित आवास पर एकलव्य फाउंडेशन हाल में समारोह पूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर उनकी याद में काव्य गोष्ठी का भी आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि प्रोफेसर आर एन सिंह व कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे अहमद निसार कवि व कार्यक्रम संयोजक सरोज श्रीवास्तव संपादक व्यंग तरंग द्वारा स्वर्गीय एकलव्य जी के चित्र पर माल्यार्पण कर तथा माँ सरस्वती प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ साहित्यकार सभाजीत द्विवेदी प्रखर ने किया ।

कार्यक्रम संयोजक सरोज श्रीवास्तव द्वारा अतिथियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया । काव्य गोष्ठी में जनपद ही नहीं अन्य जनपदों के कवियों, शायरों ने शिरकत कर अपने गीत, गजलो से कार्यक्रम की शोभा में चार चांद लगा दिया ।सर्वप्रथम मुख्य अतिथि प्रो आर एन सिंह ने अपनी कविता “आज नही तो कल निकलेगा हर मुश्किल का हल निकलेगा, जीवन पथ पर बढ़ते जाओ साथ जमाना चल निकलेगा” से महफ़िल को सजा दिया। इसी क्रम में कवि संजय सिंह ने अपनी कविता से लोगों को काफी कुछ सीख दिया कुछ ऐसे अपने होते हैं जो सारी रात जागते हैं, आंखों में बस कर वह मेरी मुझको दिन-रात सताते हैं, वही राजेश पांडे ने “कैसा कंगना गढ़ाये ना भाये सजना , कैसे गुनगुनाये मन भाए सजना ” कवित्री सुमिति श्रीवास्तव ने “दिखे सभी मनुष्य आज रूप शैल का लिये,गयी दया विचार से कपाट होठ का सीए” से जमकर वाहवाही लूटी वही अंसार जौनपुरी ने भी ” ऐसे ही कभी आके मिला क्यों नहीं करते, रूपोश रिवाजो को रवा क्यों नहीं करते, नाराज ना हो मुझे तो एक बात कह दूं मैं, रिश्तो के तकाजों को अदा क्यों नहीं करते, से महफ़िल को सजाया कवि पवन दुबे ने “वक्त जाने कहां जा रहा है आदमी बस पिसा जा रहा, मंजिले एक हो भी तो क्या रास्तों का पता ना रहा, कवि गिरीश कुमार गिरीश ने पढ़ा कि, फिसलती पांव के नीचे जमी महसूस होती है, अभी सूखे नहीं आंसू नमी महसूस होती है जहां भी हो चले आओ, हमारे दिल की महफिलों में मुझे पल पल, तुम्हारी ही कमी महसूस होती है। अनिल उपाध्याय ने कहा सरस्वती के उपासक गौड़ था जिनके लिए द्रव्य, ऐसे थे साहित्यकार श्री कृष्णकांत “एकलव्य”, कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अहमद निसार ने कहा बिछड़ने की कसक अब भी दिलो पर वार करती है, मिजाजो में अभी बाजार का मौसम नही आया, से लोगो को लुभाया।अंत मे उनके ज्येष्ठ पुत्र बाबा धर्म पुत्र अशोक ने सभी अतिथियों व गणमान्य लोगों का आभार व्यक्त किया ।इस अवसर पर संरक्षक डॉ लालजी प्रसाद, श्याम रतन श्रीवास्तव, दयाशंकर निगम ,एस सी लाल श्रीवास्तव, अशोक श्रीवास्तव, वरिष्ठ पत्रकार जय आनंद श्रीवास्तव , संजय अस्थाना ,दीपक श्रीवास्तव, राजेश श्रीवास्तव, संजय श्रीवास्तव एडीजीसी, दिलीप श्रीवास्तव एडवोकेट, आनंद शंकर श्रीवास्तव एडवोकेट, मनीष ।

श्रीवास्तव ,राजेश श्रीवास्तव बच्चा भैया, मनोज श्रीवास्तव एडवोकेट, राजन श्रीवास्तव ,इंद्रजीत मौर्य, के के दुबे फौजी, पंकज श्रीवास्तव,सिपिन रघुवंशी सभासद,बंदेश सिंह,रमेश सोनी,डॉ संजय श्रीवास्तव,विनय श्रीवास्तव,अरुण श्रीवास्तव रामु सोनकर एडवोकेट रानू श्रीवास्तव अंबर श्रीवास्तव रामजी गुप्ता दिनेश श्रीवास्तव एडवोकेट प्रदीप श्रीवास्तव अजय श्रीवास्तव शरद श्रीवास्तव अनीश श्रीवास्तव अनिल श्रीवास्तव अजय वर्मा आदि सैकड़ो लोग उपस्थित रहे।

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