Home उत्तर प्रदेश जौनपुर Lokshabha Election:संसद की दहलीज़ से कोसों दूर जौनपुर की आधीआबादी

Lokshabha Election:संसद की दहलीज़ से कोसों दूर जौनपुर की आधीआबादी

Lokshabha Election:संसद की दहलीज़ से कोसों दूर जौनपुर की आधीआबादी
LOKSHABHA ELECTION 2024 JAUNPUR

आज़ादी के बाद से अब तक जौनपुर से Lokshabha Election के रास्ते किसी महिला को संसद जाने का नही मिला मौका

LOKSHABHA ELECTION 2024 (जौनपुर) महिलाएं भले ही हर क्षेत्र में नित नए आयाम गढ़ रही हों,अपनी काबिलियत का लोहा मनवा रही हों, लेकिन राजनीति में उन्हें वह मुकाम कभी नहीं मिला,जिसकी वे हकदार हैं। जौनपुर लोकसभा सीट से आज तक कोई महिला सांसद निर्वाचित होकर संसद में नहीं पहुँच पायी है। गत वर्ष लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक पेश किया गया। इस विधेयक में प्रावधान है कि लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण मिलेगा। इस ऐतिहासिक बदलाव के बाद से सक्रिय राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी।

जौनपुर प्रदेश का एसा जिला जहाँ पर लिंग अनुपात महिलाओं का अधिक है

लेकिन तमाम दावों के बावजूद राजनीति के प्रमुख दलों ने टिकट वितरण में महिलाओं को सिर्फ नाम मात्र की हिस्सेदारी दी है। हालांकि लोकसभा चुनाव में भाजपा ने एक बार महिला पर भरोसा करते हुए दांव लगाया था लेकिन चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। इस बार बसपा ने महिला पर भरोसा करते हुए श्रीकला रेड्डी पर दांव लगाया था जिसको लेकर महिलाओं में उम्मीद की किरण जगी थी लेकिन वह भी राजनीतिक उलट-फेर की शिकार हो गयीं और महिलाओं के उम्मीदों पर पानी फिर गया। जिसे संयोग ही समझे? सपा ने कभी भी किसी भी महिला पर भरोसा नहीं जताया। जिसके कारण जौनपुर संसदीय क्षेत्र से एक भी महिला सांसद नहीं बन पाई है।

राजनीतिक दल महिला आरक्षण व साशक्तिकरण का करते हैं खोखला दावा

संसदीय क्षेत्र जौनपुर से आज तक एक भी महिला दिल्ली के सदन तक नहीं पहुंच सकी है। उसका कारण हो सकता है कि मौका उतना नहीं मिला जितना मिलना चाहिए था। जबकि इस क्षेत्र से अब तक 17 बार संसदीय चुनाव हुए हैं। उत्तर-प्रदेश में लोकसभा के लिए 80 सीट निर्धारित है। जिसमें से एक बहुचर्चित सीट जौनपुर लोकसभा क्षेत्र 73 है। जिसमें विधानसभा बदलापुर,शाहगंज, जौनपुर, मल्हनी, मुगराबादशाहपुर की सीट आती है।18 वीं लोकसभा चुनाव के लिए बिगुल बज चुका है। चरणबद्व तरीके से मतदान हो रहा है। जनपद जौनपुर में छठवें चरण में 25 मई को चुनाव होना सुनिश्चित हुआ है। जिसको लेकर सभी दलों की जोड़-तोड़ की राजनीति चालू है।

एक नज़र जौनपुर लोकसभा के इतिहास पर

HISTORY OF JAUNPUR LOKSHABHA जौनपुर लोकसभा के लिए अब तक 17 बार हुए चुनाव में प्रतिनिधित्व करने वालों में सन 1952 और सन 1957 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से बीरबल सिंह ने जौनपुर का प्रतिनिधित्व किया है। सन 1962 में पहली बार भारतीय जनसंघ के प्रत्याशी ब्राह्मजीत सिंह ने दीपक जलाने में सफल हुए। लेकिन सन 1963 में इनका निधन हो गया तो उस समय उपचुनाव हुआ जिसमें भारतीय जनता पार्टी ने भारतीय जनसंघ के संस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय को उपचुनाव में मैदान में उतारा, उनका मुकाबला भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राजदेव सिंह से था। जिसमें पंडित दीनदयाल उपाध्याय को करारी शिकस्त मिली और राजदेव सिंह को विजय हासिल हुआ।

LOKSHABHA ELECTION की बात करे तो सन 1967 और सन 1971 में फिर कांग्रेस राजदेव सिंह यहाँ से सांसद चुने गए और जीत की हैट्रिक लगाई। आपातकाल के बाद सन 1977 में जनसंघ के प्रत्याशी राजा यादवेंद्र दत्त दुबे को भारतीय लोक दल के बैनर तले मैदान में उतारा था जो कांग्रेस से तीन बार सांसद रहे राजदेव सिंह को पराजित किया। सन 1980 में फिर जनता पार्टी (सेकुलर) से अजीजुल्ला आजमी सांसद हुए। सन 1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए चुनाव भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई) से कमला प्रसाद सिंह सांसद चुनें गए जो विकास पुरूष के नाम से जाने गए। इसके बाद आज तक कांग्रेस को जौनपुर LOKSHABHA सीट पर सफलता नहीं मिली हैं।

सन 1989 में राम लहर में भारतीय जनता पार्टी से राजा जौनपुर यादवेंद्र दत्त दुबे ने पहली बार भाजपा का कमल खिलाया और सांसद बने थे। सन 1991 में अर्जुन सिंह यादव जनता दल से सांसद बने थे। सन 1996 में भाजपा से राज केसर सिंह सांसद चुने गए। सन 1998 में भाजपा को पटखनी देकर समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता पारसनाथ यादव ने अपना परचम लहराया और सांसद बने थे। सन 1999 में स्वामी चिन्मयानंद ने भाजपा के टिकट पर जीत हासिल किया और लोकसभा में जौनपुर का नेतृत्व करने के साथ ही देश के गृह राज्य मंत्री बने थे। सन 2004 के चुनाव में सपा प्रत्याशी पारसनाथ यादव से तत्कालीन देश के गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद हराकर पारसनाथ पुनः सांसद बने थे।

LOKSHABHA ELECTION 2009 के चुनाव में बाहुबली नेता धनंजय सिंह विधायक पद छोड़कर बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े और पहली बार हाथी पर सवार होकर संसद पहुंचे थे, उस समय भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में महिला प्रत्याशी सीमा द्विवेदी और समाजवादी प्रत्याशी के प्रत्याशी के रूप में पारसनाथ यादव चुनाव मैदान में रहे, इसके बाद आज तक धनंजय सिंह कोई भी चुनाव नहीं जीत सके हैं। सन 2014 में यहाँ से फिर भाजपा का परचम लहराया और डॉ कृष्ण प्रताप सिंह उर्फ के.पी. सिंह सिंह सांसद बने। इसके बाद 17वीं लोकसभा के लिए सन 2019 में हुए चुनाव में सपा- बसपा गठबंधन से प्रत्याशी बने अवकाश प्राप्त पीसीएस अधिकारी श्याम सिंह यादव सांसद चुने गए थे।

LOKSHABHA ELECTION 17 बार हुए यहां लोकसभा चुनाव में एक बार भी महिला सांसद नहीं चुनी जा सकी हैं। अब 18 वीं लोक सभा के चुनाव में बसपा से पूर्व सांसद धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला रेड्डी मैदान में थी लेकिन राजनीति के इस दलदल ने फंस कर रह गयी अब वो चुनाव नही लड़ रही हैं। और भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने अपने प्रत्याशी के रूप में महाराष्ट्र के पूर्व गृह राज्य मंत्री एवं जौनपुर के निवासी कृपा शंकर सिंह पर दांव लगाते हुए प्रत्याशी बनाया है। वही पीडीए गठबंधन से बाबू सिंह कुशवाहा मैदान में है। इस चुनाव में पूर्व सांसद धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला रेड्डी का चुनाव वाक आउट रहा। वही इस बार खानापूर्ति के लिए सरदार पटेल सिद्धांत पार्टी से निशा पाण्डेय मैदान में भले है लेकिन इनकी चर्चा राजनीति के कमरों तक सिमट कर रह गयी है।

इस सीट पर लड़ाई अब पीडीए बनाम एनडीए बताई जा रही है। लेकिन जिले के मतदाता किसे अपना जन प्रतिनिधित्व चुनेगा किसके सिर पर ताज होगा और किसे खाली हाथ लौटना होगा यह तो भविष्य के गर्भ में है। कुल मिलाकर जिले की 73 लोकसभा सीट प्रदेश की सबसे बहुचर्चित सीट बन गयी है। मुकाबला बहुत ही दिलचस्प है। राजनीतिक पार्टियां महिला हितैषी और समान प्रतिनिधित्व की बात करती है परन्तु जौनपुर लोकसभा सीट पर यही चुनावी जुमला की तरह लगता है। जिससे यह साबित हो रहा है कि जिले की आधी आबादी अभी तक संसद जाने से वंचित है। क्योंकि अभी तक कोई महिला संसद अभी तक संसद नही पहुंची।

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