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बरसी की मजलिस में मौलाना यासूब अब्बास ने दी इंसानियत और अमन की तालीम

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बरसी की मजलिस में मौलाना यासूब अब्बास ने दी इंसानियत और अमन की तालीम

शाहगंज (जौनपुर) भादी स्थित रियासत मंजिल में खानवाद-ए-रियासत हुसैन मरहूम की जानिब से अली हसन ख़ान की बरसी पर मजलिसे अज़ा का एहतेमाम किया गया। मजलिस को लखनऊ से तशरीफ़ लाए शिया धर्मगुरु मौलाना मिर्ज़ा यासूब अब्बास साहब ने ख़िताब किया।

मजलिस की शुरुआत कुरआन की तिलावत से हुई। इसके बाद शायर इश्तियाक हुसैन ने मर्सिया पेश किया। शायरी के इस हिस्से को आगे बढ़ाते हुए शायर माऐल चंदौलवी, शमीम हुमायूंपुरी और खुशनूद भादवी ने अपने कलाम से दिलों को मुनव्वर किया। संचालन हुसैन अब्बास भादवी ने किया।

अपने बयान में मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि इमाम हुसैन अ.स. की कुर्बानी पूरी इंसानियत के लिए पैग़ाम है। हमें उनके बताए रास्ते पर चलकर समाज में अम्न-ओ-अमान क़ायम रखना चाहिए। उन्होंने गंगा-जमुनी तहज़ीब को भी मज़बूती से अपनाने पर ज़ोर दिया।जब मौलाना ने कर्बला के मैदान में इमाम हुसैन अ.स. और उनके 71 साथियों पर हुए जुल्म का ज़िक्र किया तो मजलिस में मौजूद अकीदतमंदों की आंखें नम हो गईं। हर तरफ सन्नाटा और ग़म का आलम छा गया। लोग फातिमा ज़हरा स.अ. को उनके लाल का पुरसा पेश करते हुए रो पड़े।

इस मौके पर सैफ नवाब जौनपुरी ने दिल दहला देने वाला नौहा पढ़ा जिसने मजलिस की फिजा को और रंजो-ग़म से भर दिया।कार्यक्रम में मौलाना शौकत अली, नेहाल असग़र, क़ासिम अब्बास, सैय्यद हसन, मोफ़ीद ख़ान सहित कई गणमान्य अकीदतमंद मौजूद रहे।

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