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JAUNPUR NEWS.महरौडा गांव से रवाना हुआ कांवरियों का जत्था  

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JAUNPUR NEWS.महरौडा गांव से रवाना हुआ कांवरियों का जत्था  

बाबा बैजनाथ धाम के लिए महरौड़ा गांव से निकला कांवरियों का भव्य जत्था JAUNPUR NEWS :

  • भक्ति भाव से गूंजा गांव, 70 श्रद्धालुओं ने लिया देवघर यात्रा का संकल्प

JAUNPUR NEWS जौनपुर: शनिवार को खेतासराय क्षेत्र के महरौड़ा गांव से बाबा बैजनाथ धाम, देवघर (झारखंड) के लिए कांवड़ियों का एक भव्य जत्था पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ रवाना हुआ। इस अवसर पर गांव में भक्तिमय माहौल रहा और हर-हर महादेव के जयघोष से पूरा वातावरण गूंज उठा। करीब 70 श्रद्धालु शिवभक्तों ने इस बार पवित्र कांवड़ यात्रा में भाग लिया है।

गांव से पूजा-पाठ के बाद रवाना हुआ जत्था

यात्रा से पूर्व सभी कांवड़ियों ने गांव के प्राचीन शिव मंदिर में एकत्र होकर विधिपूर्वक जलाभिषेक और आरती की। इसके बाद डीजे पर बज रहे भक्ति गीतों की धुन पर धार्मिक शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें पूरे गांव का भ्रमण करते हुए सभी श्रद्धालु शामिल हुए। गांव के कोने-कोने से लोग बाहर निकलकर कांवड़ियों का स्वागत करते नजर आए।

महिलाओं ने किया पारंपरिक विदाई

गांव की महिलाओं ने पारंपरिक रीति-रिवाज के साथ कांवड़ियों को गांव की सरहद तक विदाई दी। आरती उतारकर, तिलक लगाकर और मंगल गीतों के साथ कांवड़ियों को विदा किया गया। गांव के बुजुर्गों और युवाओं ने भी कांवड़ियों को आशीर्वाद देते हुए उनकी यात्रा को सफल होने की कामना की।

17 वर्षों से निभाई जा रही है यह परंपरा

ग्रामीणों के अनुसार महरौड़ा गांव से कांवड़ यात्रा की परंपरा लगभग 17 वर्ष पूर्व शुरू हुई थी, जब गांव के दो श्रद्धालु—लालचंद विश्वकर्मा और मुन्नर बिन्द पहली बार बाबा बैजनाथ धाम जल चढ़ाने के लिए कांवड़ लेकर रवाना हुए थे। तभी से हर वर्ष सावन माह में गांव के श्रद्धालु यह यात्रा करते आ रहे हैं, और यह अब एक धार्मिक परंपरा का स्वरूप ले चुकी है।

जत्थे में शामिल रहे ये प्रमुख श्रद्धालु

इस बार कांवड़ यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं में फूलमन बिंद, राधेश्याम, अच्छेलाल, सोहनलाल, विजय कुमार गौतम सहित कुल 70 शिवभक्त शामिल हैं। यात्रा के दौरान सभी श्रद्धालु सामूहिक रूप से भजन-कीर्तन करते हुए देवघर तक जाएंगे और वहां पहुंचकर पवित्र जल से बाबा बैजनाथ का जलाभिषेक करेंगे। ग्रामीणों ने श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण कर भावभीनी शुभकामनाओं के साथ विदा किया। यह धार्मिक आयोजन गांव के लिए एक गौरवपूर्ण परंपरा बन गया है, जिसमें हर वर्ग और उम्र के लोग सहभागी बनते हैं।

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