कागज़ों पर हो रही 24 घंटे विद्युत आपूर्ति, उपभोक्ता त्रस्त
65 साल पुराने तारों से जान को ख़तरा, आंदोलन की चेतावनी
खेतासराय (जौनपुर):- उत्तर-प्रदेश सरकार जहां एक ओर ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में 24 घंटे निर्बाध विद्युत आपूर्ति का दावा कर रही है, वहीं ज़मीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट है। शाहगंज उपखंड के अंतर्गत आने वाले सबरहद फीडर से जुड़े गांवों में बिजली आपूर्ति पूरी तरह चरमराई हुई है। उमस भरी भीषण गर्मी में एक घंटा भी लगातार बिजली न मिल पाने से उसरहटा, हाजी रफीपुर, अरंद, पाराकमाल, अरनौला, मोल्लापुर जैसे गांवों के लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं।
मौसम विभाग ने क्षेत्र में तापमान के 43 डिग्री सेल्सियस को पार करने के बाद हीटवेव की चेतावनी जारी की है और इलाके को यलो ज़ोन घोषित किया गया है। ऐसे में बार-बार बिजली का आना-जाना लोगों की जान जंजाल बन हुआ है। न पंखा चल पा रहा है, न कूलर और न ही बल्ब तक ठीक से जल पा रहा है। इस स्थिति ने बुज़ुर्गों, बच्चों और बीमार लोगों को सबसे ज़्यादा प्रभावित किया है।
स्थानीय लोगों के अनुसार, इस फीडर में लगे 65 साल पुराने 11 हज़ार वोल्टेज के तार अब जर्जर अवस्था में पहुंच चुके हैं, जो आए दिन टूटकर गिरते रहते हैं। इससे न केवल बिजली बाधित हो रही है, बल्कि जान-माल का ख़तरा भी बना हुआ है। लोगों ने कई बार विद्युत विभाग से शिकायत की, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। एक निवासी ने बताया, इतनी पुरानी लाइनें हैं कि कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। बिजली की आंख-मिचौली ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है।
ग्रामीणों का आरोप है कि इस क्षेत्र के जनप्रतिनिधि भी इस समस्या से पूरी तरह बेखबर हैं। जनता की समस्याओं पर न तो उनका ध्यान है और न ही कोई पहल हो रही है। लोगों का कहना है कि देश जहां आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, वहीं शाहगंज विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीण आज भी बिजली, पानी और सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। व्यापारी वर्ग भी बिजली की अनियमितता से परेशान है। रातभर जागकर किसी तरह दिन काटना इन लोगों की मजबूरी बन चुकी है। लगातार बढ़ते कनेक्शन और लोड के कारण तारों पर अधिभार बढ़ रहा है, जिससे बार-बार टूटने की घटनाएं सामने आ रही हैं।
अब ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही विद्युत आपूर्ति व्यवस्था को ठीक नहीं किया गया, तो वे आंदोलन करने को बाध्य होंगे। उनका कहना है कि यह आंदोलन तब तक चलेगा जब तक उन्हें नियमित, सुरक्षित और निर्बाध बिजली आपूर्ति की गारंटी नहीं मिलती। ऐसी स्थिति में व्यवस्थाएं सरकार के दावों पर सवाल खड़ा करती है, बल्कि बिजली विभाग की उदासीनता और जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता को भी उजागर करती है। यदि समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो यह संकट और भी भयावह रूप ले सकता है।