शाहगंज: देशसेवा और अनुशासन की भावना से ओतप्रोत श्री विश्वनाथ इंटर कॉलेज, कलान में सोमवार को एनसीसी की भर्ती प्रक्रिया सम्पन्न हुई। इस अवसर पर विद्यालय परिसर देशभक्ति, नेतृत्व और युवा जोश के जीवंत स्वरूप में तब्दील हो गया। करीब 1400 छात्र-छात्राओं ने NCC कैडेट बनने की इच्छा से भागीदारी की, जिसमें से 200 प्रतिभागियों को लिखित परीक्षा के लिए चयनित किया गया। अन्ततः 25 बालक एवं 25 बालिकाओं का चयन अंतिम रूप से एनसीसी में हुआ।
कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यालय के प्रबंधक श्री शशिप्रकाश सिंह ने हरी झंडी दिखाकर बालिकाओं की दौड़ के साथ किया। बेटियों ने आत्मविश्वास और ऊर्जा से परिपूर्ण दौड़ लगाकर ग्रामीण परिवेश में शक्ति परी के सशक्तिकरण की तस्वीर पेश की।
लंबाई माप, दौड़, मेडिकल परीक्षण, व शारीरिक दक्षता जैसे चरणों से गुजरती चयन प्रक्रिया पूर्णतः निष्पक्ष एवं पारदर्शी रही। विद्यार्थियों ने अपने आत्मबल, अनुशासन और समर्पण से यह प्रमाणित कर दिया कि आज का युवा राष्ट्रनिर्माण में अहम भूमिका निभाने को तत्पर है।
कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाने हेतु विद्यालय अध्यक्ष एवं पूर्व डीएफओ दिनेश सिंह, प्रधानाचार्य डॉ. आशुतोष सिंह,वरिष्ठ अध्यापक डी.पी. सिंह , वरिष्ठ अध्यापक डॉ. आनंद प्रकाश सिंह, सूबेदार मेजर इकबाल सिंह,सूबेदार इम्तियाज अहमद खान,हवलदार चंचल सिंह, तथा सीटीओ शैलेन्द्र कुमार सिंह जैसे गणमान्य उपस्थित रहे। चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता एवं छात्राओं की सहभागिता की सबने सराहना की।प्रबंधक श्री शशिप्रकाश सिंह ने कहा कि एनसीसी केवल प्रशिक्षण नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण का माध्यम है, जो विद्यार्थियों में आत्मबल, अनुशासन और नेतृत्व के गुण विकसित करता है।प्रधानाचार्य डॉ. आशुतोष सिंह ने इसे विद्यार्थियों को मानसिक और शारीरिक रूप से सशक्त करने वाला अवसर बताया।वरिष्ठ अध्यापक डी.पी. सिंह ने एनसीसी को विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक बताया।वरिष्ठ अध्यापक डॉ. आनंद प्रकाश सिंह ने छात्राओं की भागीदारी को महिला सशक्तिकरण का जीवंत उदाहरण बताया।
एनसीसी प्रभारी ने पूरी चयन प्रक्रिया को निष्पक्ष बताया। चयनित कैडेट्स को शिक्षकों, अभिभावकों और स्थानीयजनों ने शुभकामनाएं दीं।श्री विश्वनाथ इंटर कॉलेज कलान बना अनुशासन, नेतृत्व और राष्ट्रभक्ति की मिसालयह आयोजन केवल एक भर्ती नहीं रहा, बल्कि ग्रामीण युवाओं की चेतना, जोश और संभावनाओं का उत्सव बनकर उभरा। यह प्रमाणित करता है कि विद्यालय स्तर पर बोए गए अनुशासन और सेवा के बीज, भविष्य में राष्ट्र निर्माण के विराट वृक्ष का रूप ले सकते हैं।