Wednesday, October 8, 2025
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The truth about aliens परग्रही एलियंस का सच क्या है ?

 परग्रही एलियंस का सच क्या है – डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि एवं निदेशक,The truth about aliens

aliens news today : वर्तमान समय में मीडिया और सोशल मीडिया पर बहुत बड़ी हलचल मची हुई है और यह कहा जा रहा है कि एक बहुत बड़ा परग्रही एलियन का अंतरिक्ष यान बहुत तेजी से धरती की तरफ बढ़ता हुआ चला आ रहा है और नवंबर 2025 तक इसके धरती पर पहुंच जाने की पूर्ण संभावना व्यक्त की गई है बात तो यहां तक की जा रही है कि एलन मस्क जैसे लोगों ने भी इसको स्वीकार किया है और कहने वाले लोग यहां तक कहते हैं कि जेम्स वेब  टेलीस्कोप ने इसका जो चित्र खींचा है वह किस टूटे हुए तारे का धूमकेतु का या उसका खंड का हो ही नहीं सकता है और इसका वेग भी बहुत भयानक है लाखों किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से अपने सौरमंडल में घुसकर पृथ्वी की तरफ बढ़ता हुआ चला आ रहा है ।

ऐसा देखा जाता है कि चाहे मीडिया हो चाहे सोशल मीडिया या कोई अन्य साधन इनमें 100 में से केवल एक बात सच होती है बाकी 99 तो केवल लोकप्रियता पाने के लिए या फिर टीआरपी बढ़ाने के लिए प्रयोग किया जाता है लेकिन इस बार मामला कुछ अलग हटकर है इस बार जो चित्र खींचा गया है अगर वह सही है तो यह कदापि किसी भी धूमकेतु या उसका खंड का नहीं हो सकता है ऐसे में प्रश्न है उठना है कि क्या आखिर परग्रही एलियंस लोग अपने विशाल का अंतरिक्ष यान से धरती पर सचमुच उतरना चाहते हैं या फिर यह भी केवल एक कपोल कल्पना है।

इन सभी का उत्तर देना हम जैसे मौसम वैज्ञानिकों और ज्योतिषी लोगों के लिए बहुत ही आवश्यक है और इसका उत्तर बहुत सकारात्मक है इसलिए की 1980 ईस्वी में मैं ज्योतिष की गहन गणनाओं के आधार पर लिखा था कि 2025 तक प्रामाणिक रूप से एलियंस अर्थात परग्रही प्राणियों का साक्षात्कार हो जाएगा और यह हो भी चुका है जिसे छुपाया जा रहा है लेकिन अगर यह बाहरी सौरमंडल या आकाशगंगा का होगा तो इसे छुपाया जाना संभव नहीं होगा। वैसे सारी दुनिया अब यह जान चुकी है कि अमेरिका रूस और चीन की हैरत अंग्रेज उन्नति के मूल में कहीं ना कहीं परग्रही एलियंस सही हैं

The truth about aliens परग्रही एलियंस का सच क्या है ?

डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि

47 वर्ष से लगातार हमारे अलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम पूर्वानुमान और विज्ञान अनुसंधान केंद्र के द्वारा लाखों लाख भविष्यवाणी समय की कसौटी पर पूरी तरह से सत्य और खरी उतरी हैं दिनेश सिंह प्रवक्ता तिलकधारी सिंह इंटर कॉलेज संजय कुमार उपाध्याय एडवोकेट सीताराम चौरसिया राहुल और नीरा जैसे अनगिनत लोग इसके प्रमाण भी हैं मुझे अच्छी तरह से याद है कि मैं 1999 2000 2012 2020 जैसी सनसनी वाली पहले की घटनाओं को पूरी तरह से अफवाह बताया था जो बिल्कुल सही सिद्ध हुई और लोगों को घबराने से मना किया था इसी तरह कुछ साल पहले धरती पर घनघोर अंधेरा छाने की बात बहुत जोर शोर से नासा के हवाले से की गई थी उसे भी मैंने बकवास सिद्ध किया था स्काई लैब जब गिर रहा था तब भी हमारे केंद्र द्वारा कहा गया था कि इससे धरती पर कोई नुकसान नहीं होगा क्योंकि वह महासागर में गिरेगा इसी तरह 2026 तक किसी भी तीसरे विश्व युद्ध की कोई संभावना नहीं है यह सारी भविष्यवाणीयां भी हमारी पूरी तरह से सही हो रही है अब हम अपने मूल बिंदु पर आते हैं कि आखिर धरती की ओर बढ़ रहा यह विचित्र वस्तु है क्या

धरती की ओर तेजी से बढ़ रहे इस पिंड को पहले तो वैज्ञानिकों द्वारा टूटा हुआ तारा या उल्का खंड या धूमकेतु माना गया था लेकिन अब यह प्रामाणिक रूप से लगभग सिद्ध हो गया है कि ऐसी यह कोई वस्तु नहीं है यह चाहे जो कुछ है लेकिन इससे कुछ ना कुछ हटकर है इस यान के जो भी चित्र या काल्पनिक चित्र बनाए गए हैं या जो तस्वीर जेम्स वेब और हबल दूरबीन के द्वारा ली गई हैं वह कुछ और ही कहानी बोलते हैं और निश्चित रूप से यह मानव को भाई रोमांच और अद्भुत कल्पना से भर दे रहा है कि अगर सचमुच यह परग्रही एलियंस का यान निकल आया तो क्या होगा क्या हम उनकी भाषा समझ पाएंगे क्या उनके अंतरिक्ष यान में प्रलय मचाने वाले अस्त्र-शस्त्र होंगे क्या वे धरती के मित्र होंगे और क्या वह हमारे शत्रु होंगे अगर मित्र होंगे तब क्या होगा और शत्रु होंगे तब क्या होगा कहीं भी अपने हथियारों से धरती का विनाश तो नहीं कर देंगे या फिर धरती पर नई सभ्यता का जन्म तो नहीं देंगे कहीं यह स्वर्ग लोक के प्राणी तो नहीं है इस तरह के अनगिनत प्रश्न सबके मन में उठ रहे हैं

इस तरह से अनेक कल्पनाएं चल रही हैं और कुल मिलाकर इस यान का या पिंड का जो स्वरूप दिख रहा है वह किसी अंतरिक्ष यान का ही दिखाई देता है लेकिन सबसे बड़ी आश्चर्य की बात है कि इसका विस्तार कई किलोमीटर में बताया जा रहा है और निश्चित रूप से धरती पर विद्यमान आधुनिक मानव सभ्यता के बस की बात नहीं उनके कल्पना के पार की बात है आज हमारा सबसे उन्नत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन भी केवल फुटबॉल के मैदान जितना बड़ा है जो ज्यादा से ज्यादा 300 से 400 फुट है ऐसे में कई मील लंबा अंतरिक्ष यान अगर सचमुच है तो उसको किस शक्ति से चलाया जा रहा होगा इस यान को चलाने का अर्थ होगा धरती की सारी ऊर्जा एक ही अंतरिक्ष यान चलाने में खप जाए और वह कहां से आ रहा है यह वास्तव में बहुत ही हैरतअंग्रेज प्रश्न है यह अपनी आकाशगंगा का यह है या फिर किसी अन्य आकाशगंगा का है क्योंकि अगर अपनी आकाशगंगा से भी आ रहा है तो भी इसकी गति के अनुसार इस सबसे निकट तारे प्रॉक्सिमा सेंटूरी से भी यहां पहुंचने में हजारों वर्ष लग जाएंगे तो क्या हजारों वर्ष से इस यान में लोग जीवित हैं।

1980 से लेकर 2010 तक मैंने अनंत अंतरिक्ष सूर्य चंद्र तारे आकाशगंगा तारा विश्व और परम विश्व ब्लैक होल व्हाइट होल वरम्होल टाइम ट्रैवल प्रकाश यान जैसी लाखों चीजों पर काम किया हैऔर मैं 1980 में तिलकधारी सिंह इंटर कॉलेज की वल्लरी पत्रिका में प्रमाण के साथ लिखा था कि अमेरिका और रूसके वैज्ञानिक झूठ बोल रहे हैं जो वह कह रहे हैं कि चंद्रमा पर हवा पानी कुछ नहीं है और मैंने लिखा कि वहां पर चंद्रमा की सतह पर हवा पानी के साथ जीव और वनस्पतियां भी मिलेगी जो अब धीरे-धीरे सही सिद्ध हो रही हैं अपने सौरमंडल में ही मैं काम से कम पांच ग्रह और उपग्रह पर हवा पानी के साथ बहू विद बहू प्रकार के जीवन की भविष्यवाणी किया है और आज शनि और बृहस्पति पर और उनके चंद्रमा पर पानी का समुद्र पाया जाना उसमें मीथेन का मिलन यह बता रहा है कि अपने सौरमंडल में ही जीवन है और सौरमंडल भी अपना कल्पना से बहुत बड़ा है यह दो प्रकाश वर्ष में फैला हुआ है अभी तक मानव निर्मित कोई भी वस्तु अपने सौरमंडल की सीमा को पर नहीं कर सकी है वाइजर एक और वाइजर दो सबसे दूर जाने वाले यह हैं लेकिन यह केवल 25 अरब किलोमीटर की दूरी तय कर पाए हैं और 25 घंटा प्रकाश वर्ष की दूरी पर है याद रखें कि एक प्रकाश वर्ष का अर्थ 96 खरब किलोमीटर की दूरी होता है ऐसे में अपना सौरमंडल पार करने में ही इनको हजारों वर्ष लग जाएंगे

वैज्ञानिकों और ज्योतिर्विदों का यह कहना है कि यह अद्भुत पिंड नवंबर में धरती के बिल्कुल पास आ जाएगा तब देखा जाएगा कि वास्तव में यह कल्पना है या हकीकत है अभी तो संपूर्ण मीडिया और सोशल मीडिया इस पिंड की हलचल से भरा हुआ है और दिन-रात इसके बारे में अनगिनत बातें लिखी जा रहे हैं लेख के साथ इसका सबसे अच्छा छायाचित्र भी दिया जा रहा है और अगर यह चित्र सत्य है तो निश्चित रूप से कोई आकाशीय पिंड नहीं हो सकता है मेरा ऐसा मानना है कि यह बहुत संभव है कि यह कोई  परग्रही एलियंस का अंतरिक्ष यान निकल आए वैसे भी अब नवंबर महीना बहुत दूर नहीं है इसलिए सांस रोक कर हमें इस अद्भुत और विचित्र पिंड के धरती तक पहुंचाने की प्रतीक्षा करनी होगी वैसे हमारा ब्रह्मांड अनंत है और हर नियम सिद्धांत और कल्पना से परे हैं

इस सिद्धांत को सर्वप्रथम बाबा बेंगा से जोड़कर देखा गया जिन्होंने बहुत पहले यह कहा था कि 2025 में एक अलौकिक शक्ति का साक्षात्कार धरती पर होगा पर भौतिक विज्ञान लोअब का कहना है 3I/ATLAS lagbhag 210000 किलोमीटर प्रति घंटा की भयंकर रफ्तार से धरती की ओर बढ़ रहा है और यह किसी विराट नगर जितना बड़ा है या बहुत विचित्र और अद्भुत दिख रहा है लेकिन ज्योतिष और पंचांग के आधार पर मेरा यही मानना है कि यह 99 परीक्षित कोई धूमकेतु या उल्का पिंड ही है केवल एक प्रतिशत संभावना है कि यह कोई अंतरिक्ष यान होगा क्योंकि इस ज्ञान की गति इतनी तेज है कि इससे हम केवल 2 घंटे में चंद्रमा पर पहुंच सकते हैं।
ऐसा इसलिए है कि हमारे सूर्य जैसे 2 से 3 खरब सूर्य हमारी अपनी आकाशगंगा में ही है और ऐसी अरबों आकाशगंगाएं अर्थात मंदाकिनी हमारे इस दृश्य मान ब्रह्मांड में खोजी गई हैं और यहां तक कि सबसे उन्नत तकनीक से खोजा गया है कि हम दृश्यमान ब्रह्मांड का पांच प्रतिशत से अधिक भाग किसी हालत में नहीं देख सकते क्योंकि यह भाग द्रव्य ऊर्जा से बना हुआ है जबकि 95% भाग डार्क एनर्जी और डार्क मैटर से बना हुआ है जिसे देखा नहीं जा सकता है और ऐसे ना जाने कितने कल्पना से परे परम ब्रह्मांड है जिसमें कल्पना से परे आकाश गंगाएं सूर्य चंद्रमा तारे ब्लैक होल व्हाइट होल वरम्होल और न्यूट्रॉन तथा क्वासर लाल दानव तारे श्वेत वामन तारे निहारिका और गैस तथा धूल के बादल द्रव्य और प्रति द्रव्य ऊर्जा और प्रति ऊर्जा कर्ण और प्रतिकण भरे पड़े हैं सभी ब्लैक होल हमारे महाकाली के अंश हैं और सुपरमैसिल ब्लैक होल स्वयं महाकाली है इसी प्रकार समग्र अनंत को ब्रह्मांडों को बनाने और बिगाड़ने वाले भगवान शिव और माता पार्वती हैं सारी सृष्टि उन्हीं से उत्पन्न होती है और अंत में उन्हें में लीन हो जाती है

सबसे अद्भुत बात यह है कि वैज्ञानिक ब्रह्मांड को 14 अरब वर्ष पहले उत्पन्न मानते हैं लेकिन 14 अब वर्ष में यह 100 अरब प्रकाश वर्ष कैसे फैल गया यही सबसे बड़ी हैरानी की बात है अगर यह सच है तो आकाशगंगा को इतना फैलने में प्रकाश की गति से भी 9 से 10 गुना अधिक वेग प्राप्त करना होगा और विज्ञान के अनुसार प्रकाश से अधिक वेग संभव ही नहीं है लेकिन मुझे पूर्ण विश्वास है और ज्योतिष भी यही कहता है भारत का धर्म दर्शन और विज्ञानभी कहता है कि प्रकाश का वेग तो छोड़ दो अनंत वेग भी प्राप्त किया जा सकता है l

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