ग्रामीणांचल के पंडालों में विराजमान होने के लिए जाने लगी देवी-देवताओं की प्रतिमाएँ
खेतासराय(जौनपुर): आगामी त्योहारों की रौनक अब ग्रामीण अंचलों में भी स्पष्ट दिखाई देने लगी है। गाँव-गाँव और कस्बों में धार्मिक उत्सवों की तैयारी चरम पर है। खासकर नवरात्र और दूर्गा पूजा उत्सव जैसे अवसरों को ध्यान में रखते हुए ग्रामीण इलाकों के पंडालों में प्रतिमाएँ पहुँचने लगी हैं।
पंडाल समितियों ने हफ्तों पहले से ही तैयारी शुरू कर दी थी। बांस-बल्लियों और रंग-बिरंगी सजावट से बने पंडाल अब रोशनी की झालरों से जगमगाने लगे हैं। मूर्तिकारों द्वारा तैयार की गई भव्य प्रतिमाएँ ट्रैक्टर-ट्रॉलियों और पिकअप वाहनों से गाँवों तक लाई जा रही हैं। गाँव के युवा ढोल-नगाड़ों और भजन-कीर्तन के बीच मूर्तियों का स्वागत कर रहे हैं। कारीगरों ने भी अपनी कला का अनूठा प्रदर्शन किया है। मिट्टी, प्लास्टर और रंगों से सजीव प्रतीत होने वाली प्रतिमाएँ लोगों का ध्यान आकर्षित कर रही हैं।
खेतासराय कस्बा में मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार उत्तम पल बताते है कि नवरात्रि के एक दिन पहले से समितियों के लोग पिकअप, ट्राली लेकर आते है और मूर्तियां जाना प्रारम्भ हो जाती है। देर रात तक मूर्तियां जाती रहती है। इसके बाद कस्बा में जजने वाले पंडालों की मूर्तियां सप्तमी के एक दिन पहले जाती है। ऐसे में जितना भी मूर्ति का ऑर्डर मिला रहता है सब सप्तमी के एक दिन पहले पंडाल तक पहुँच जाती है।
गाँव के वरिष्ठजन बताते हैं कि प्रतिमाओं के आगमन के साथ ही उत्सव का माहौल और भी उल्लासपूर्ण हो जाता है। बच्चे पंडालों में जुटकर झांकियों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की तैयारियों में शामिल हो रहे हैं। प्रशासनिक स्तर पर भी सुरक्षा और स्वच्छता की व्यवस्था सुनिश्चित करने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। पंडाल समितियों को निर्देश दिया गया है कि वे अग्निशमन, प्राथमिक चिकित्सा और यातायात व्यवस्था पर विशेष ध्यान दें।