जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के स्ववित्तपोषित योजना के तहत कार्यरत संविदा शिक्षकों ने परिसर शिक्षक संघर्ष समिति के बैनर तले उत्तर प्रदेश शासन के अपर मुख्य सचिव को ईमेल द्वारा एक मांग पत्र प्रेषित किया है। यह मांग पत्र शासनादेश संख्या 75/2025/1066/सत्तर-4-2025-70-40(99)/63/2025 दिनांक 09 अक्टूबर 2025 और शासनादेश दिनांक 13 मार्च 2020 के तत्काल निरस्तीकरण की मांग को लेकर भेजा गया है। शिक्षकों का आरोप है कि ये शासनादेश माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय (सुरेश कुमार पांडेय बनाम उत्तर प्रदेश राज्य, 01 मार्च 2013) और सर्वोच्च न्यायालय (SLP (C) No. 1347 of 2024, 22 अगस्त 2025) के निर्णयों का उल्लंघन करते हैं। परिसर शिक्षक संघर्ष समिति के प्रतिनिधि डॉ. अनुराग मिश्र ने कहा, “उक्त शासनादेश न केवल माननीय न्यायालयों के निर्णयों का उल्लंघन करते हैं, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 14, 16, 19(1)(g) और 21 के तहत प्रदत्त मौलिक अधिकारों का भी हनन करते हैं। ये शासनादेश विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों के बीच असमानता पैदा करते हैं, जो संवैधानिक सिद्धांतों के विरुद्ध है।
हमारी मांग है कि शासन तत्काल इन शासनादेशों को रद्द करे और शिक्षकों को यूजीसी वेतनमान के साथ-साथ सेवा स्थिरता प्रदान करे। अन्यथा, हम विधिक कार्रवाई के लिए बाध्य होंगे।” शिक्षकों ने मांग की है कि दोनों शासनादेशों को तत्काल रद्द किया जाए, स्ववित्तपोषित योजना के शिक्षकों को यूजीसी द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतनमान प्रदान किया जाए, उनकी सेवा को अधिवर्षता आयु तक सुरक्षित किया जाए, प्रभावित शिक्षकों के साथ परामर्श कर समान और विधिक नीति बनाई जाए, तथा विश्वविद्यालय के स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों की छात्र संख्या, परीक्षा परिणाम, उपादेयता और नियमितीकरण की संभावनाओं की शासन स्तर पर जांच की जाए। शिक्षकों ने शासन से तत्काल हस्तक्षेप और मांगों के अनुपालन की अपेक्षा की है। संपर्क: डॉ. अनुराग मिश्र, प्रतिनिधि सदस्य, परिसर शिक्षक संघर्ष समिति, वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर।





