Thursday, November 21, 2024
Homeआई पीसीबेटे की सरकारी नौकरी के बाद,बेटी को मिलेगी अनुकंपा पर नियुक्ति-HC 

बेटे की सरकारी नौकरी के बाद,बेटी को मिलेगी अनुकंपा पर नियुक्ति-HC 

AllAHABAD HIGH COURT प्रयागराज : बेटे की सरकारी नौकरी होने के बाद भी अब बेटी को अनुकंपा नियुक्ति दी जा सकती है इलाहाबाद हाइकोर्ट नेसोमवार को एक बड़ा फैसला दिया जिसमे कहा है कि यदि मृत कर्मचारी का पति अथवा पत्नी पहले से ही सरकारी कर्मचारी है तो अनुकंपा नियुक्ति नहीं देने की वैधानिक शर्त केवल पति या पत्नी तक ही सीमित है और इसे मृत कर्मचारी के बच्चों तक नहीं बढ़ाया जा सकता। यदि पति या पत्नी नौकरी में नहीं है तो बच्चों को अनुकंपा नियुक्ति पाने का अधिकार होगा। 

कोर्ट ने कहा पिता की मृत्यु के समय बेटे का सरकारी नौकरी में होना अप्रासंगिक होगा। क्योंकि उसकी कमाई का उपयोग उसके अपने परिवार पत्नी और बच्चों के भरण-पोषण के लिए किया जा सकता है।ऐसे में  यदि मां नौकरी में नहीं है तो आश्रित बेटी अनुकंपा नियुक्ति की मांग कर सकती है। न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला ने कुमारी निशा की याचिका पर दिया है यह आदेश

HC कोर्ट ने कहा कि यदि मृत सरकारी का जीवित पति या पत्नी किसी सरकारी नौकरी में है तो परिवार के अन्य आश्रित सदस्य अनुकंपा नियुक्ति के हकदार नहीं हैं। मामले के अनुसार याची के पिता की प्राथमिक विद्यालय मनिकापुर ब्लॉक बेलघाट जिला गोरखपुर में हेडमास्टर के रूप में सेवारत रहते हुए मृत्यु हो गई। वे अपने पीछे विधवा (याचिकाकर्ता की मां) दो अविवाहित बेटे और अविवाहित बेटी छोड़ गए। याचिकाकर्ता 75% स्थायी रूप से दिव्यांग है और पूरी तरह से अपने पिता की कमाई पर निर्भर थी।

याचिकाकर्ता ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया। आवेदन के साथ उसने शपथ पत्र भी दिया कि उसका बड़ा भाई सरकारी नौकरी में है, लेकिन परिवार से अलग रहता है। यह भी कहा गया कि यदि याचिकाकर्ता को उनके पिता की मृत्यु के बदले अनुकंपा नियुक्ति दी जाती है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है।

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी गोरखपुर ने याचिकाकर्ता का आवेदन इस आधार पर खारिज कर दिया था कि मृतक का बड़ा बेटा सरकारी कर्मचारी है, इसलिए परिवार पर कोई वित्तीय तनाव नहीं है। इसके अलावा यह कहा गया था कि सबसे बड़ा बेटा सरकारी नौकरी में है, इसलिए परिवार के सदस्य की अनुकंपा नियुक्ति स्वीकार्य नहीं है।

न्यायालय ने माना कि सरकार ने जानबूझकर नियम 5 में संशोधन किया, जिससे बेटे को इसमें शामिल न किया जा सके, क्योंकि उसकी कमाई का उपयोग उसके अपने परिवार (पत्नी और बच्चों) के भरण-पोषण में किया जा सकता।

AllAHABAD HIGH COURT ने कहा कि संशोधन के साथ-साथ 4 सितंबर 2000 के सरकारी आदेश के मद्देनजर अनुकंपा नियुक्ति के लिए याचिकाकर्ता का दावा खारिज नहीं किया जा सकता, क्योंकि हलफनामे में विशेष रूप से कहा गया कि भाई सरकारी नौकरी में है और परिवार (मां और भाई-बहन) से अलग रह रहा है। अदालत ने कहा कि रिकॉर्ड पर ऐसी कोई सामग्री न होने के कारण कि भाई की कमाई परिवार के भरण-पोषण के लिए पर्याप्त है, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी गोरखपुर का आदेश सही नहीं मानते हुए रद्द कर दिया।

LATEST ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments