शाहगंज के अभिषेक मास्को में लिखेंगे पत्रकारिता शोध की नई इबारत  

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शाहगंज के अभिषेक मास्को में लिखेंगे पत्रकारिता शोध की नई इबारत  
शाहगंज के अभिषेक मास्को में लिखेंगे पत्रकारिता शोध की नई इबारत  

छोटे शहर का बड़ा सपना: शाहगंज का अभिषेक अब मास्को में लिखेगा पत्रकारिता शोध की नई इबारत

जौनपुर: कभी शाहगंज की गलियों में साइकिल से स्कूल जाने वाला एक साधारण छात्र आज रूस की राजधानी मास्को में भारत का नाम रोशन करने जा रहा है। न्यू फ्रेंड्स अवध कॉलोनी निवासी अभिषेक चतुर्वेदी का चयन पत्रकारिता विषय पर शोध के लिए मास्को पेडागाजिकल स्टेट यूनिवर्सिटी में हुआ है। जैसे ही यह खबर शाहगंज पहुँची, परिवार और क्षेत्र में जश्न जैसा माहौल बन गया। बधाई देने वालों का तांता उनके घर पर लगा रहा।

छोटे शहर से बड़े सफर तक

अभिषेक मूल रूप से केराकत तहसील के तरियारी गांव के एक शैक्षिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता राजेश चौबे शिक्षक होने के साथ-साथ पत्रकारिता से भी जुड़े रहे हैं। परिवार में शिक्षा और संस्कारों की गहरी परंपरा रही है। यही कारण है कि बचपन से ही अभिषेक ने किताबों और लेखन को अपना साथी बनाया।
नगर के सेंट थॉमस इंटर कॉलेज से इंटर की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से पत्रकारिता विषय में परास्नातक किया। छात्र जीवन में ही उन्हें लेखन, संवाद और शोध कार्यों में गहरी रुचि रही।

पंजाब से रूस तक का सफर

उच्च शिक्षा की राह में अभिषेक ने पहले पंजाब की लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (फगवाड़ा) का रुख किया। यहाँ उन्होंने डॉ. नदीम अख्तर और डॉ. सुमित पांडेय के निर्देशन में चार सत्रों तक शोध कार्य किया। उनकी लगन और शोधपरक दृष्टि ने उन्हें अलग पहचान दिलाई।
इसी बीच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रिसर्च का अवसर मिला और अब रूस की मशहूर यूनिवर्सिटी में उन्हें शोध कार्य के लिए आमंत्रित किया गया है। मास्को में वे एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सर्गी डानिलिन के निर्देशन में पत्रकारिता के नए आयामों पर काम करेंगे। यह अवसर न सिर्फ उनके लिए, बल्कि पूरे शाहगंज और जौनपुर जिले के लिए गर्व का विषय है।

संघर्ष और प्रेरणा

अभिषेक मानते हैं कि उनकी सफलता केवल उनका परिश्रम नहीं है, बल्कि यह उनके परिवार, मार्गदर्शकों और शुभचिंतकों के त्याग और सहयोग का परिणाम है। वे अपने अभिभावक समान डॉ. आलोक सिंह पालीवाल (पशु चिकित्सक) और डॉ. विशाल सिंह (असिस्टेंट प्रोफेसर, केएनआई सुल्तानपुर) को विशेष रूप से श्रेय देते हैं।

परिवार के बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद, दादा रामानंद चौबे और चाचा उमेश चंद्र चौबे का स्नेह, माँ कंचन की दुआएँ और बहन दीप्तिका का साथ हमेशा उनकी ताकत बना। अभिषेक कहते हैं यदि परिवार और मार्गदर्शकों का सहयोग न मिलता तो शायद यह मुकाम पाना कठिन होता। मैं यह उपलब्धि अपने पूरे क्षेत्र को समर्पित करता हूँ।

क्षेत्र में खुशी की लहर

अभिषेक की उपलब्धि से पूरा क्षेत्र गौरवान्वित है। मोहल्ले और गाँव के लोग घर पहुँचकर उन्हें बधाई दे रहे हैं। सोशल मीडिया पर बधाइयों की झड़ी लगी है। युवा पीढ़ी उन्हें अपने आदर्श के रूप में देख रही है। शाहगंज के कई शिक्षकों और बुद्धिजीवियों ने कहा कि यह उपलब्धि साबित करती है कि छोटे कस्बों के छात्र भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना सकते हैं।

पत्रकारिता में शोध की दिशा

आज जब पत्रकारिता केवल खबरों तक सीमित नहीं रह गई, बल्कि यह समाज में जनमत निर्माण और वैश्विक संवाद का माध्यम बन चुकी है, ऐसे समय में अभिषेक जैसे शोधार्थियों का आगे बढ़ना विशेष मायने रखता है। मास्को में उनका शोध कार्य भारत और रूस दोनों देशों के बीच मीडिया संबंधों और पत्रकारिता के नए दृष्टिकोणों पर नई रोशनी डालेगा।

प्रेरणा का स्रोत

अभिषेक की कहानी छोटे कस्बों और गाँवों के युवाओं के लिए प्रेरणा है। यह संदेश देती है कि यदि लक्ष्य स्पष्ट हो और मेहनत निरंतर की जाए, तो सीमाएँ कभी बाधा नहीं बनतीं। शाहगंज जैसे छोटे शहर से निकलकर मास्को तक का सफर केवल अभिषेक की जीत नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की आकांक्षाओं का सम्मान है।

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