भारतीय राजनीति में भोज और खान-पान की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) द्वारा आयोजित खिचड़ी भोज न केवल एक राजनीतिक पहल है, बल्कि समाज और संस्कृति के ताने-बाने को मजबूत करने का एक प्रयास भी है। खिचड़ी, जो भारत की विविधता और एकता का प्रतीक है, इस आयोजन का केंद्र बनकर राजनीति में संवाद का एक नया आयाम जोड़ती है। बीजेपी का खिचड़ी भोज एक साधारण भोजन के माध्यम से समाज के विभिन्न वर्गों को जोड़ने का प्रयास है। इस भोज का मुख्य उद्देश्य विभिन्न जातियों, समुदायों और धर्मों के लोगों को एक मंच पर लाना है, ताकि वे सामाजिक समरसता और भाईचारे को बढ़ावा दे सकें। खिचड़ी भोज का आयोजन अक्सर त्योहारों, चुनावी प्रचार, या विशेष अवसरों पर किया जाता है। इस आयोजन के जरिए बीजेपी यह संदेश देती है कि भारतीय समाज की विविधता ही उसकी सबसे बड़ी ताकत है। खिचड़ी, जो कई अनाजों और दालों से मिलकर बनती है, एकता और सामूहिकता का प्रतीक है।
राजनीति में भोजन का उपयोग लोगों से जुड़ने और संवाद स्थापित करने का एक प्रभावी माध्यम रहा है। खिचड़ी भोज के माध्यम से बीजेपी अपनी जमीनी पकड़ को मजबूत करती है। यह कार्यक्रम न केवल आम जनता को पार्टी के साथ जोड़ने का प्रयास है, बल्कि विपक्ष को भी यह संदेश देने का एक तरीका है कि बीजेपी जमीनी स्तर पर कितनी सक्रिय है। यह भोज अक्सर ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में आयोजित किए जाते हैं, जहां पार्टी कार्यकर्ता, नेता और आम जनता एक साथ बैठकर भोजन करते हैं। इस आयोजन में जाति-धर्म से ऊपर उठकर सबको समान रूप से शामिल किया जाता है, जिससे यह संदेश जाता है कि बीजेपी समावेशिता में विश्वास करती है।
खिचड़ी भोज का प्रभाव सांस्कृतिक और सामाजिक स्तर पर भी देखा जा सकता है। यह आयोजन समाज में समरसता और एकता को बढ़ावा देता है। भारतीय संस्कृति में भोजन को एक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है, और खिचड़ी भोज इस परंपरा को और मजबूत करता है। बीजेपी ने इस आयोजन के माध्यम से यह सिद्ध किया है कि एक साधारण भोजन भी लोगों को जोड़ने और सामाजिक मुद्दों पर संवाद करने का एक प्रभावी माध्यम बन सकता है। राजनीतिक दृष्टिकोण से खिचड़ी भोज की आलोचनाएं भी होती रहती परंतु बीजेपी का खिचड़ी भोज एक सकारात्मक पहल के रूप में देखा जाता है, कुछ लोग इसे राजनीतिक प्रचार का हिस्सा मानते हैं। विपक्षी दल इसे एक ऐसा आयोजन मानते हैं जो केवल वोट बैंक को प्रभावित करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा, यह भी तर्क दिया जाता है कि केवल भोज आयोजित करने से सामाजिक समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता। असली बदलाव तभी आएगा जब इन आयोजनों के साथ ठोस नीतियों और कार्यों को जोड़ा जाए।
बीजेपी का खिचड़ी भोज भारतीय राजनीति में एक नई पहल है जो समाज के विभिन्न वर्गों को जोड़ने का प्रयास करता है। हालांकि इसके राजनीतिक उद्देश्य पर सवाल उठाए जा सकते हैं, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि इस प्रकार के आयोजन समाज में सकारात्मक प्रभाव डालते हैं।खिचड़ी भोज न केवल भोजन का आयोजन है, बल्कि यह भारतीय राजनीति में संवाद और समावेशिता का एक महत्वपूर्ण साधन बन गया है। इसे सही दिशा में उपयोग करके समाज में वास्तविक बदलाव लाया जा सकता है।
अन्नू राजभर (शोध-छात्रा)
राजनीति विज्ञान
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर