जौनपुर लोकसभा 73 से सपा उम्मीदवार बाबू सिंह कुशवाहा का जौनपुर में कितना चलेगा जादू
जौनपुर: समाजवादी पार्टी ने जौनपुर संसदीय क्षेत्र से बाबू सिंह कुशवाहा को उम्मीदवार घोषित किया है। कभी कांशीराम के चेले और मायावती के फंड मैनेजर रहे कुशवाहा की एक ज़माने में तूती बोलती थी। मंत्री से लेकर माफ़िया तक उनके क़दमों में पड़े रहते थे। पढ़िए बाबू सिंह कुशवाहा का सियासी सफ़रनामा
कौन और कहां के हैं बाबू सिंह कुशवाहा !
बाबू सिंह कुशवाहा मूलतः बांदा ज़िले के पखरौली गांव निवासी हैं।तक़रीबन 59 वर्षीय कुशवाहा ग्रेजुएट हैं।वह जनाधिकार पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष हैं।सन 1988 के दौर में बसपा के संस्थापक कांशीराम के संपर्क में आये और 90 का दशक शुरू होते ही बसपा कार्यलय के प्रभारी बन गए।यहीं से मायावती से उनकी नज़दीकियां बढ़ीं।धीरे धीरे बाबू सिंह बहन जी के सबसे विश्वासपात्र बन गए। सन 2003 में मायावती ने उन्हें पंचायतीराज मंत्री बनाया।2007 में जब बसपा पूर्ण बहुमत से सत्ता में आयी तब बाबू सिंह कुशवाहा की हैसियत डिप्टी सीएम जैसी थी। उनकी हैसियत का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि उस वक़्त उनके पास खनिज ,नियुक्ति ,सहकारिता और परिवार कल्याण जैसे बड़े और मलाईदार मंत्रालय थे।
5 हज़ार करोड़ के घपले का आरोप है कुशवाहा पर !
यूं तो यूपी की सियासत में बाबू सिंह कुशवाहा एक बड़ा नाम था लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर यह नाम 2012 मे सुर्खियों में आया।राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन में हुए करोड़ों के घोटालों ने तत्कालीन बसपा सरकार की चूलें हिला दीं और इस घोटाले में मुख्य नाम आया बाबू सिंह कुशवाहा का।यह घोटाला इस लिए भी चर्चित हुआ कि इसे छूपाने की कोशिश में 3 सीएमओ सहित 7 लोग मारे गए। 5 हजार करोड़ से अधिक के घोटाले के इल्जाम में बाबू सिंह कुशवाहा बसपा से बाहर कर दिए गए।तबसे आज तक वह सियासी रेगिस्तान की रेत फांक रहे हैं।
जौनपुर में कितना चलेगा कुशवाहा का करिश्मा.!
बाबू सिंह कुशवाहा को बाहरी या घोटालेबाज़ कह कर पूरी तरह ख़ारिज नहीं किया जा सकता। यूपी में बाबू सिंह अपनी बिरादरी के सबसे कद्दावर नेता हैं। जौनपुर सीट पर मौर्य मतों की संख्या डेढ़ लाख के करीब बताई जाती है। मौर्य मतदाता भाजपा छोड़ कर बिरादरी के तरफ़ मुड़ गए तो भाजपा प्रत्याशी की खटिया खड़ी बिस्तरा गोल हो सकता है।