Dr. Satya Narayan Dubey Sharatendu of Jaunpur did the historical poetic translation of Valmiki Ramayana ।
JAUNPUR NEWS :जौनपुर जनपद के प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ सत्य नारायण दुबे ‘शरतेंदु’ ने 87वर्ष की अवस्था में भी निरंतर लेखन कर के दुर्गा शप्तशती, गीता और बाल्मीकि रामायण कथामृत सरल हिंदी पद्यानुवाद करके जौनपुर को गौरवान्वित किया है। मड़ियाहूं तहसील के ददरा ग्राम निवासी ऐसे लेखक हैं जो पांच दशक से अधिक समाज को लेखनी के माध्यम से प्रेरित कर रहे हैं। इनकी बी.एड., एम.एड., बीटीसी की पाठ्य पुस्तकें, जौनपुर का गौरवशाली इतिहास सहित 300 से अधिक कहानी, काव्य, उपन्यास विद्यार्थियों, पाठकों में अत्यधिक लोकप्रिय हैं।
रोवर्स रेंजर्स के जिला कमिश्नर और वी.ब.सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय शिक्षा संकाय के डीन प्रोफेसर अजय कुमार दुबे की डॉ शरतेंदु जी के साथ लिखित चार पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, ने बताया कि डॉ शरतेंदु जी विगत 7 वर्षों से बाल्मीकि रामायण का हिंदी पद्यानुवाद कर रहे थे प्रारंभ में स्वास्थ्य कारणों से केवल सुंदर कांड का पद्यानुवाद करने का विचार था किंतु प्रभु श्री राम की कृपा और आशीर्वाद से वह बाल्मीकि रामायण के समस्त कांडों का पद्यानुवाद कर के प्रकाशित कर चुके हैं जो कि जनपद ही नहीं वरन भारतवर्ष के लिए भी एक गौरव का विषय है ।
डॉ शरतेंदु जी 1 जुलाई 1964 से 30 जून 1999 तक गांधी स्मारक पी जी कॉलेज समोधपुर में शिक्षक शिक्षा विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर पद पर कार्य किया, इनकी नियुक्ति भले ही बी.एड. विभाग में हुई लेकिन बी.ए. में इतिहास , राजनीति शास्त्र, हिंदी की कक्षाएं भी शौकिया लिया करते थे जिस कक्षा में जो विषय पढ़ाया कुछ समय बाद उस पर पाठय पुस्तक भी लिख डाला ऐसी प्रतिभा के धनी और इरादे के पक्के संकल्पना को पूर्ण करने वाले इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक, स्नातकोत्तर, एम.एड. पी-एच.डी.की डिग्री प्राप्त की । इनके गुरुजनों में प्रोफेसर रघुपति सहाय, फिरॉक गोरखपुरी ,प्रोफेसर हरिवंश राय बच्चन, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला , डॉ रामकुमार वर्मा ,डॉ धीरेंद्र वर्मा, डॉ धर्मवीर भारती, अर्थशास्त्र के शिक्षक प्रोफेसर जे के मेहता, दर्शन शास्त्र के शिक्षक डॉ संगम लाल पांडेय थे। पूर्व राष्ट्रपति डॉ शंकर दयाल शर्मा ने भारत भूमि महान काव्य कृति का राष्ट्रपति भवन में विमोचन कर डॉ शरतेंदु को सम्मानित किया।
ताल कटोरा स्टेडियम,नई दिल्ली में भारतीय दलित साहित्य अकादमी में देश के प्रमुख राजनेताओं की उपस्थिति में एक बार डॉ भीमराव अंबेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार और दूसरी बार विशिष्ट सेवा पुरस्कार से अलंकृत हुए ।
जय स्वतंत्र भारत काव्य ग्रंथ का श्री माता प्रसाद, पूर्व राज्यपाल अरुणाचल प्रदेश ने विमोचन के साथ ही विशिष्ट सम्मान के साथ सम्मानित किया।* अर्थो अघोरेश्वर भगवान राम चरिततम काव्य ग्रंथ पर सर्वेश्वरी समूह शाखा ने ससम्मान पुरस्कृत किया।*
उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान ने डॉ शरतेंदु की कृति लोक साहित्य की रूपरेखा पर रामनरेश त्रिपाठी नामित पुरस्कार प्रदान किया ।*
डॉ शरतेंदु जी का जन्म 25 नवम्बर 1938 को ददरा मड़ियाहूं जौनपुर में हुआ तथा 1999 में गांधी स्मारक पी जी कॉलेज समोध पुर से बीएड विभाग से सेवानिवृत्त होने के पश्चात आज भी 87 वर्ष से अधिक आयु की अवस्था में 8 से 10 घंटे प्रतिदिन दिन लेखन कार्य करके विद्यार्थियों, शोधार्थियों, शिक्षकों आदि का निःस्वार्थ भाव से सतत सहयोग और मार्गदर्शन करना, मीडिया और प्रचार प्रसार से दूर सभी के लिए प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं और मौन साधना के रूप में निरंतर लेखन कार्य में रत हैं ।