पूर्व सांसद धनञ्जय सिंह को अपहरण-रंगदारी के मामले में 7 साल की सजा 

पूर्व सांसद धनञ्जय सिंह को अपहरण-रंगदारी के मामले में 7 साल की सजा 
पूर्व सांसद धनञ्जय सिंह को अपहरण-रंगदारी के मामले में 7 साल की सजा 

जौनपुर के पूर्व सांसद धनञ्जय सिंह को 7 साल की सजा, 75 हज़ार अर्थदंड

जौनपुर के पूर्व सांसद बाहुबली धनंजय सिंह और उनके सहयोगी संतोष विक्रम को अपहरण-रंगदारी के मामले में बुधवार को दोषी पाते हुए एमपी-एमएलए कोर्ट ने सात वर्ष की सजा सुनाई है जिसके चलते लोक सभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे धनञ्जय नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल ने धंनजय और उनके सहयोगी सन्तोष विक्रम सिंह पर कम गुणवत्ता वाली सामग्री की आपूर्ति न कराने पर अपहरण-रंगदारी और धमकी देने के मामले में केस दर्ज कराया था। 5 मार्च को कोर्ट ने दोनों को दोषी करार देते हुए न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया था। अपर सत्र न्यायधीश चतुर्थ शरद चंद्र त्रिपाठी ने दोपहर चार बजकर दस मिनट पर धंनजय सिंह उनके सहयोगी सन्तोष विक्रम सिंह को सात साल की सजा और 75  हज़ार रु अर्थदंड की सुनाई है। 

धनञ्जय सिंह और उनके सहयोगी संतोष विक्रम को जिन धाराओं में कारावास और अर्थ दण्ड लगा है वे इस प्रकार है 

IPC 364 में 7 वर्ष की सजा 50000 हजार रूपये का जुरमाना जुर्माने की रकम न अदा करने पर चार माह का कारावास , IPC 386 5 वर्ष का कठोर कारावास 25 हजार का जुर्माना जुर्माना अदा न करने की स्थिति में 3 माह का कारावास ,IPC 504 1 वर्ष का कठोर कारावास 10000 हजार का जुर्माना ,IPC जुर्माना अदा न करने की स्थिति में 1 माह का कारावास .IPC 506 वर्ष का कठोर कारावास 15000 का जुर्माना जुर्माना अदा न करने की स्थिति में 45 दिन का कारावास .IPC 120 B 2 वर्ष का कठोर कारावास 50000 हजार का जुर्माना जुर्माना अदा न करने की स्थिति 4 माह का कारावास l

 

यह था  पूरा मामला

प्राप्त जानकारी के मुताविक  उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के निवासी नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल ने 10 मई 2020 को आरोप लगाया था कि जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह कम गुणवत्ता वाली सामग्रियों की आपूर्ति कराने के लिए दबाब बना रहे थे। वादी द्वारा मना करने पर जौनपुर के पूर्व सांसद धनञ्जय सिंह के करीबी संतोष विक्रम दो अन्य लोगों के साथ जाकर उसका अपहरण करके काली कुत्ती स्थित धनंजय सिंह के आवास पर ले गए। जहां पर धनंजय सिंह ने गाली गलौच देते हुए वादी पर पिस्टल सटाकर कम गुणवत्ता वाली सामग्री की आपूर्ति कराने के लिए दबाव बनाया था।

लाइन बाजार थाने में दर्ज हुआ था एफआईआर 

नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल की तहरीर पर बाहुबली धनंजय सिंह और उनके सहयोगी के खिलाफ लाइन बाजार थाने में अपरहण, रंगदारी और धमकी देने के मामले में केस दर्ज हुआ था। पुलिस ने धनंजय और उनके सहयोगी को कालीकुत्ती स्थित आवास से गिरफ्तार करके जेल भेज दिया  गया ।

धनञ्जय को इससे पहले हाईकोर्ट से जमानत मिली थी 

अपहरण-रंगदारी के मामले मे जेल जाने के बाद धनंजय सिंह को हाईकोर्ट से जमानत मिली इसके बाद धनंजय और सन्तोष विक्रम सिंह जेल से बाहर आये थे।

कोर्ट में बयान से मुकर गए थे वादी अभिनव सिंघल  :

साल 2020 में बाहुबली पूर्व सांसद धनंजय सिंह पर अपहरण-रंगदारी और धमकी देने का आरोप लगाकर केस दर्ज कराने वाला वादी अभिनव सिंघल कोर्ट में मुकर गया था। दरअसल नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल ने अपर सत्र न्यायाधीश-6 (एमपी-एमएलए) कोर्ट में बयान देते हुए उस समय कहा था कि उसका अपहरण नहीं हुआ था न ही पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने उससे किसी तरह की रंगदारी मांगी थी। बल्कि वह खुद अपनी स्वेच्छा से धनंजय सिंह के आवास पर गया था। हालांकि कोर्ट ने केस की गंभीरता को देखते हुए वादी के शपथपत्र पर कोई विचार नही किया था।

5 मार्च 2024 को कोर्ट ने दोषी करार दिया दोनों को 

5 मार्च को जौनपुर की एमपी एमएलए कोर्ट ने इस केस से जुड़े धनंजय व उनके सहयोगी को धारा – 364, 386, 504, 506 और 120B आईपीसी के अपराध हेतु दोषी करार देते हुए न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया। सजा की सुनवाई के लिए अगले दिन यानि 6 मार्च की तारीख़ नियत की गयी थी। हालांकि अदालत ने आज धनंजय और उनके साथी सन्तोष विक्रम को सजा सुनाई।

भारी गहमा गहमी के बीच समर्थकों में छाई रही मायूसी

बाहुबली धंनजय सिंह को सजा  सुनाये जाने के बाद उनके समर्थकों में मायूसी छा गयी है।   बता दें कि धनंजय सिंह इस बार जौनपुर से लोकसभा चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी में थे। BJP की सहयोगी JDU ने जौनपुर सीट के लिए काफी जद्दोजहद की लेकिन BJP यह सीट JDU को नही दी। BJP ने इस सीट से महाराष्ट्र के पूर्व गृह राज्यमंत्री कृपाशंकर सिंह को प्रत्याशी घोषित कर दिया।

हालांकि इसके बाद धनंजय सिंह की उम्मीदों पर पानी फिर गया। माना जा रहा था कि धनंजय अब JDU छोड़कर किसी अन्य दल से अथवा निर्दल चुनाव लड़ेंगे। इसके लिए धनंजय सपा-बसपा में प्रयास करते रहे लेकिन उन्हें कहीं सफलता नही मिली। इनसब के बीच देखा जाय तो अखिलेश यादव से मिलने के दो दिन बाद जौनपुर की कोर्ट द्वारा अपहरण – रंगदारी के मामले में दोषी करार दिए जाने से उनकी मुश्किलें बढ़ गयी क्या धनञ्जय को न्याय मिलेगा यह आस लगाए बैठे क्या फिर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे यह तो आने वाला समय ही बताएगा ।

 जौनपुर पुलिस की मानीटरिंग सेल द्वारा बुधवार को जारी की गई प्रेस नोट के मुताविक.धनन्जय सिंह. संतोष विक्रम सिंह  को धारा 364/386/504/506/120बी  के अन्तर्गत दोषसिद्ध करते हुए प्रत्येक को 7 वर्ष का कठोर कारावास तथा प्रत्येक को मु0 1,50,000/- रू0 के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया।  फिरौती हेतु अपहरण का अपराध कारित करने के सम्बंध में वादी की लिखित तहरीर पर थाना लाइन बाजार में मु0अ0सं0-142/20

धारा-364/386/504/506/120बी भादवि पंजीकृत हुआ। विवेचना तत्परता से गुणवत्ता कायम रखते हुए आरोपियों के विरूद्ध आरोप पत्र माननीय न्यायालय में प्रेषित किया गया।  पुलिस महानिदेशक द्वारा चलाये जा रहे ऑपरेशन  कन्विक्शन अभियान के अन्तर्गत पुलिस अधीक्षक तथा अपर पुलिस अधीक्षक नगर के कुशल नेतृत्व एवं क्षेत्राधिकारी नगर के निकट पर्यवेक्षण में जनपदीय पुलिस मानीटरिंग सेल,जौनपुर द्वारा एम0पी0 एम0एल0ए0 के विरुद्ध विचाराधीन मुकदमों मे त्वरित निस्तारण कराने एवं अधिकाधिक सजा कराने हेतु उक्त मुकदमें में प्रभावी पैरवी एवं सम्यक कार्यवाही की गयी,

जिसके परिणामस्वरुप दिनांक  06.03.2024 को न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश चतुर्थ / विशेष न्यायाधीश एम0पी0 एम0एल0ए0 जौनपुर द्वारा.धनन्जय सिंह पुत्र राजदेव निवासी बनसफा थाना सिकरारा जौनपुर 2.संतोष विक्रम सिंह पुत्र प्रेमबहादुर सिंह निवासी शास्त्रीनगर थाना कोतवाली जौनपुर प्रत्येक को आरोपित धारा 364 भादवि में 07 वर्ष का कठोर कारावास एवं 50,000 रु0 का अर्थदण्ड, 386 भादवि में 05 वर्ष का कठोर कारावास एवं 25,000 रु0 का अर्थदण्ड, 504 भादवि में 01 वर्ष का कठोर कारावास एवं 10,000 रु0 का अर्थदण्ड, 506 भादवि में 02 वर्ष का कठोर कारावास एवं 15,000 रु0 का अर्थदण्ड, 120बी भादवि में 07 वर्ष का कठोर कारावास एवं 50,000 रु0 का अर्थदण्ड से दण्डित किया गया। अर्थदण्ड अदा न करने की स्थिति में अपराधियों को 13 माह 15 दिन का अतिरिक्त कारावास भोगना होगा। अभियुक्तगण द्वारा जेल मे बिताई गयी अवधि सजा की अवधि मे समायोजित की जायेगी। सभी सजायें साथ-साथ चलेंगी।