धान की रोपाई कर रही युवती 11 हज़ार वोल्टेज तार की चपेट में आने से झुलसी,जिला अस्पताल रेफर
खेतासराय (जौनपुर) क्षेत्र के मानीकला में धान की रोपाई करते समय 11 हज़ार वोल्टेज तार की चपेट में आने से एक बालिका झुलस गयी। स्वजनों ने आनन-फानन एक निजी अस्पताल में ले गए। जहाँ चिकित्सक ने हालत नाजुक देखते हुए जिला अस्पताल रेफर कर दिया। जानकारी के अनुसार रविवार को क्षेत्र के उक्त गाँव निवासी लक्ष्मीना पुत्री लालता परिजनों के साथ खेत मे धान की रोपाई कर रही थी। बताया जाता है कि खेत के ऊपर से विद्युत विभाग का 11 हज़ार वोल्टेज तार गुजरा हुआ है। जो खेत से महज तीन फीट की ऊँचाई पर लटक रहा है। जिससे धान कि रोपाई कर बालिका उसकी चपेट में आ गयी और बुरी तरह से झुलस गयी। स्वजनों ने आनन-फानन निजी अस्पताल ले गए। जहाँ बुरी तरह से झुलसी बालिका की स्थिति नाजुक देखते हुए जिला अस्पताल रेफर कर दिया।
उसी स्थान पर दो बार हो चुका है हादसा
ग्रामीणों का कहना है उसी जगह एक बार नहीं दो बार नहीं बल्कि यह तीसरी बार ऐसी घटना हो रही है। बावजूद इसके विद्युत विभाग नहीं चेत रहा है। जबकि इस सम्बंध में लोगों ने इसकी शिकायत विद्युत विभाग से किया है। सम्बन्धित विभाग द्वारा ध्यान नहीं देने के चलते हादसा हो रहा है। लोगों का कहना है कि पिछली बार उसी स्थान और दो बार हादसा हो चुकी है। फिर जिम्मेदार नहीं चेत रहे है। यदि समय रहते उसको चेत लिया होता विभाग तो आज यह हादसा नहीं होता। लेकिन विभाग क्यों चेत रहा है यह बात लोगों के समझ से परे है। लोगों का कहना है कि लगता है विद्युत विभाग लोगों के मौत का इंतज़ार कर रहा है?
जर्जर तार के सहारे की जा रही है बिजली सप्लाई
आपको बता दें कि घटना वाली जगह जर्जर तार से विद्युत सप्लाई की जा रही है। जो हल्के हवा के झोंके से टूट जाता है। जिसकी शिकायत कई ग्रामीणों ने लाइनमैन और सम्बन्धित अधिकारियों से भी किया लेकिन परिणाम कुछ नहीं निकला। यदि समय जर्जर तार को बदल दिया जाता तो शायद हादसा न होता। तीसरी बार हादसा होने से ग्रामीणों में भारी आक्रोश व्याप्त है। यदि शीघ्र ही जर्जर तार को नहीं बदला गया तो ऐसे ही हादसे होते रहेंगे। लोगों का कहना है कि जर्जर तार इतना नीचे है कि कोई भी खेती, जानवरों को चराने के लिए जाता है तो हमेशा भय बना रहता है। दशकों पुराने तार से विद्युत सप्लाई की जा रही है जिससे आएं दिन घटनाएं हो रही है। लोगों में चर्चा है कि विद्युत विभाग अभी कितनी घटनाओं का इंतज़ार करेगा?
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