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भारत का पहला समाचार पत्र 244 वर्ष पहले छपा था,संपादक को हुई थी जेल 

भारत का पहला समाचार पत्र 244 वर्ष पहले आज के दिन छपा था अंग्रेजी समाचार पत्र के संपादक को जुर्माने के साथ जाना पड़ा था जेल:

संपादक -श्याम नारायण पाण्डेय

Bengal gazette calcutta general advertifer : भारत का पहला समाचार पत्र कोलकाता जनरल एडवरटाइजर 29 जनवरी 1780 को प्रकाशित होने वाला देश का पहला समाचार पत्र रहा जो व्यवस्थित रूप से प्रकाशित हुआ उसका नाम था कोलकाता जनरल एडवर्ड टाइजर चार पृष्ठों  के इस अंग्रेजी साप्ताहिक के मुद्रक ,प्रकाशक ,स्वामी और संपादक जेम्स आगस्ट हिककी थे ।अपने पत्र के नीतिगत उद्देश्य के बारे में नाम शीर्षक के नीचे ही हिक्की ने घोषणा किया था कि ” ए वीकली पॉलीटिकल एंड कमर्शियल न्यूज़पेपर ओपन टू ऑल बट इनफ्लुएंस्ड बाय नन “अर्थात एक राजनीतिक और वाणिज्यिक साप्ताहिक जो सबके लिए खुला है किंतु प्रभावित किसी से भी नहीं है अर्थात यह एक निष्पक्ष निर्भीक और स्वतंत्र अंग्रेजी साप्ताहिक समाचार पत्र है ।

कोलकाता जनरल एडवरटाइजर अख़बार में होती थी अधिकारियो के अवैध ब्यवहार की चर्चा

हिक्की के इस साप्ताहिक मे खबरें तो सभी क्षेत्रों और विषयों की रहती थी ,किंतु उनकी रुचि कंपनी के कर्मचारियों और अधिकारियों के निजी जिंदगी के बारे में भंडाफोड़ करने में ज्यादा थी ईस्ट इंडिया कंपनी के कर्मचारी और अधिकारी न केवल व्यक्तिगत व्यापारिक गतिविधियों से धन संचय करते थे बल्कि उनके कुकर्मों पर पर्दा पड़ा रहे।  इसके लिए छोटे कर्मचारियों को दबाकर रखते थे। इसके लिए कंपनी के अधिकारी अपने आलोचकों के प्रति निर्मम व्यवहार रखते थे इसी वक्त जेम्स आगस्ट हिक्की ने कोलकाता जनरल एडवरटाइजर्स का प्रकाशन शुरू किया । अखबार में साहित्यिक चर्चा तो नहीं के बराबर रहती थी किंतु कंपनी के आला अधिकारियों के अवैध व्यवहार और कारनामों की चर्चा खुलकर की जाती थी । यहां तक की गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स की पत्नी और अन्य बड़े अधिकारियों के विरुद्ध व्यक्तिगत और तीखे प्रहार किए जाते थे ।सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्याय मूर्ति को भी नहीं छोड़ा जाता था  ।

अख़बार के संपादक हिक्की से मांगी गई थी 80 हजार की जमानत ,नहीं देने पर जाना पड़ा था जेल 

इस प्रकार विधायिका और न्यायपालिका दोनों के ही अधिकारी हिक्की से बेहद बेहद नाराज हो गए और उनके दुश्मन बन गए। कंपनी की कृपा पात्र जान किरनेडडर जकारिया ने हिक्की पर मानहानि का एक मुकदमा कर दिया जिसमें बगैर किसी सुनवाई के हिक्की को 4 माह का कारावास और ₹500 जुर्माना किया गया ।इसके बावजूद हिक्की ने कंपनी और न्यायमूर्ति सर एलिजा एमपी के विरुद्ध कटु लेखन बराबर जारी रखा। इसी बीच यूरोपीय अधिकारियों की अगुवाई में 400 हथियारबंद लोगों की भीड़ ने हिक्की के प्रेस पर धावा बोल दिया । हिक्की से रुपया 80 हजार की जमानत मांगी गई और न देने पर उन्हें जेल भेज दिया गया था  ।

1780 में अख़बार के जीपीओ की मान्यता अंग्रेजो ने किया था  निरस्त 

जेल में रहते हुए ही वह बिना डरे ,बिना थके अपना कार्य करते रहे । तब 14 नवंबर सन  सन 1780 को गवर्नर जनरल द्वारा अखबार को जीपीओ (जनरल पोस्ट ऑफिसेज) से प्रसारित किए जाने की सुविधा निरस्त कर दी गई। आदेश में कहा गया कि जे .ए .हिककी द्वारा मुद्रित कोलकाता जनरल एडवरटाइजर्स के ताजा अंकों में बड़े लोगों के व्यक्तिगत  जिंदगी को लांछित करने वाले अंश पाए गए हैं । जो अशांत करने वाले हैं । इसलिए इस पत्र को जीपीओ से प्रसारित होने की और अधिक अनुमति नहीं दी जा सकती । इस प्रकार यह पत्र  तमाम विरोधाभाषो और कठिनाइयों के बावजूद 5 जनवरी 1782 तक लगातार प्रकाशित होता रहा। तत्पश्चात प्रताणा  और आर्थिक कठिनाइयों  के  कारणों से बंद हो गया ।यह भारतीय पत्रकारिता के इतिहास में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को निर्भीकता से निर्वहन करने के चलते समाचार पत्र और शासन के बीच टकराव की प्रथम घटना थी । इस प्रकार भारत में पत्रकारिता का श्री गणेश करने का श्रेय जहां जेम्स आगस्ट हिक्की को ही जाता है ।वहीं व्यवस्था से टकराने और निर्भीक , निष्पक्ष और न्याय संगत लेखन के फलस्वरुप प्रताणा के रूप में कीमत चुकाने का सम्मान भी उन्हीं के खाते में  जाता है । ऐसे वीर पत्रकार को शत-शत  नमन ।

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