लक्ष्मी के प्रति मातृभाव होना ही श्रेष्ठ है: पं. अखिलेश चन्द्र मिश्र
खेतासराय (जौनपुर) श्री राम जानकी मंदिर ठाकुरद्वारा भारती विद्यापीठ खेतासराय में “सर्वे भवन्तु सुखिन:” की अवधारणा से भारती विद्यापीठ के संरक्षक अनिल कुमार उपाध्याय के द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के छठें दिन यजमान के रूप में सर्वोदय इण्टर कालेज के प्रधानाचार्य दिनेश कुमार गुप्त एवं उनके स्टाफ के द्वारा अर्चन पूजन कर कथा का शुभारंभ कराया। कथा व्यास पं. अखिलेश चन्द्र मिश्र जी ने महारास का प्रसंग सुनाते हुए यह बताया कि महारास कोई स्त्री पुरुष का मिलन नही बल्कि जीव का परमात्मा के चरणों मे प्रेम ही महारास के नाम से परिभाषित है। भगवान ने कंस इत्यादि राक्षसों का उद्धार करके देव,गौ, ब्राह्मण एवं पृथ्वी को सुख दिया। उद्धव जी के द्वारा गोपियों को आत्मोपदेश बताया किन्तु गोपियों के अनन्य प्रेम के सामने उद्धव जैसे ज्ञानी नतमस्तक हो गए।
उद्धव जैसे ज्ञानी गोपियों के चरण रज को माथे लगाते हैं इससे यह सुनाकर उन्होंने सिद्ध किया कि है प्रेम जगत में सार और कुछ सार नही है। इस प्रकार भावपूर्ण प्रवचन सुनाकर श्रोताओं को श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया।रुक्मिणी विवाह के प्रसंग में उन्होंने बताया कि रुक्मिणी जी साक्षात लक्ष्मी हैं लक्ष्मीपति नारायण ही थे, वही हैं और वही रहेंगे इसलिए जो भी लक्ष्मीपति बनने का प्रयास करेगा तो भगवान अपनी लक्ष्मी को चुरा ले जाएंगे फिर शिशुपाल की तरह रोना पड़ेगा।इसलिए लक्ष्मी के प्रति मातृभाव होना ही श्रेष्ठ है। नगर एवं ग्रामीणांचल से आये हुए श्रोताओं ने बड़े ही धूमधाम से भगवान का विवाहोत्सव मनाया। इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य विनय कुमार सिंह एवं उनका स्टाफ, वासुदेव तपेश्वरी गर्ल्स इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्या सुनीता मिश्रा, सफिया खान, विभा पाण्डेय एवं उनका स्टाफ, मुंशी चौहान, आलोक श्रीवास्तव सहित अनेक गणमान्य उपस्थित रहे।