जोनल स्तरीय निरंकारी महिला समागम श्रद्धा पूर्वक संपन्न।
जौनपुर। निरंकारी सद्गुरु माता सुदीक्षा महाराज के आशीर्वाद से जौनपुर जोन का जोन स्तरीय निरंकारी महिला समागम मड़ियाहूं पड़ाव स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन जौनपुर , के प्रांगण में केंद्रीय ज्ञान प्राचारिका बहन कुमुद जी (प्रयागराज) की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। जिसमें जनपद के 43 शाखाओं से बहनों ने भाग लिया।
बहन जी ने सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के पावन संदेशों को बताते हुए कहा कि मानव जीवन का वास्तविक उद्देश्य परमात्मा को प्राप्त करना है जो पूर्ण सद्गुरु की अपार कृपा द्वारा ही संभव है।
उन्होंने सद्गुरु के शिक्षाओं का जिक्र करते हुए बताया कि मनुष्य जीवन का असली मकसद ब्रह्म ज्ञान प्राप्ति करना है जो पूर्ण सतगुरु की शरण में आने से ही होता है। ज्ञान की प्राप्ति के पश्चात सहनशीलता तथा नम्रता के गुण सहज ही आ जाते हैं। यह मनुष्य जीवन बड़ा अमोलक है इसको संभाल के रखना हमारा फर्ज है यह जीवन हमें 84 लाख योनियों के पश्चात मिलता है हमें इस निरंकार की भक्ति के लिए निरंतर सत्संग करते हुए अपने मन को सेवा सिमरन और सत्संग में लगाना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि महिलाओं को सकारात्मक सोच अपनाकर अपने घरों में खुशनुमा माहौल बनाने का प्रयास करना चाहिए। सभी का सम्मान करना चाहिए, बच्चों का ख्याल रखना चाहिए, और बुजुर्गों की सेवा करनी चाहिए। सेवा भी प्यार से किया जाए।
उन्होंने महिलाओं द्वारा पेश किए गए भक्ति भरे प्रयासों की भरपूर सराहना की और आगे बताया की गृहस्थी जीवन में रहते हुए भी भक्ति करते हुए अपने पवित्र गुणों से परिवार को संभालती हैं और प्रभु परमात्मा की भक्ति के लिए प्रेरित करती हैं और महिलाएं ही अपने परिवार को प्रभु भक्ति और गुरु मर्यादा से जोड़कर घर को स्वर्ग बना लेती हैं आज के युग में महिलाएं हर क्षेत्र में उन्नति कर रही है।
इस कार्यक्रम में विभिन्न शाखाओं से आई बहनों ने हिंदी, अंग्रेजी, भोजपुरी भाषा में अपनी श्रद्धा व्यक्त की । कार्यक्रम में संत निरंकारी मिशन व सदगुरु माताजी का संदेश भजनों, समूह गीतों, कविताओं, विचारों के माध्यम से दिया गया। इस अवसर पर श्री श्याम लाल साहू जी संयोजक व श्री राजेश प्रजापति जी क्षेत्रीय संचालक शाहगंज ने आए हुए संगत का आभार धन्यवाद किया। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में निरंकारी सेवा दल के सदस्यों ने भरपूर योगदान दिया। यह जानकारी स्थानीय मीडिया सहायक उदय नारायण जायसवाल ने दिया।