( जौनपुर ) राजकीय स्वास्थ्य विभाग की कमजोरी को दर्शाता जिले का यह चिकित्सालय शाहगंज विकासखण्ड क्षेत्र के सबरहद गांव में विगत दो दशकों से संचालित राजकीय होम्योपैथी चिकित्सालय सालों से दूसरे गांव में चल रहा है। उक्त अस्पताल से आस-पास के ग्रामीणों को काफी लाभ मिल रहा था। भारी संख्या में मरीज होम्योपैथिक चिकित्सा का लाभ भी उठा रहे थे। प्रतिदिन मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही थी, लेकिन बिना किसी कारण सबरहद के होम्योपैथी अस्पताल को ताखा के अतरिक्त पीएचसी पर स्थान्तरित कर दिया गया। जहां पर पहले से ही अस्पताल संचालित है।
लगभग पांच सालों से सबरहद सहित आस-पास के मरीजों को आठ किलोमीटर दवा के लिए भटकना पड़ रहा है। जबकि सबरहद के अस्पताल कागजी कोरम पूरा करने के लिए अस्पताल संचालन का बोर्ड बाकायदा लगाया गया है। सबरहद गांव से अस्पताल को हटाने से ग्रामीणों में आक्रोश है। वहीं ताखा गांव के पीएचसी में होम्योपैथी अस्पताल के संचालन से यहां के ग्रामीणों को भी असुविधा झेलनी पड़ रही है।
ताखा निवासी राधेश्याम, अरबिंद, केवला देवी सहित दर्जनों ग्रामीणों ने बताया कि अतरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ताखा पश्चिम के भवन में राजकीय होम्योपैथी अस्पताल सबरहद को संचालित कर दिया गया। जिससे अस्पताल के अधिकतर हिस्से पर होम्योपैथिक अस्पताल का कब्जा हो गया है। जगह कम होने के कारण मरीजों को काफी असुविधा होती है। न तो ठीक से अतिरिक्त पीएचसी ताखा चल पा रही है और न ही होम्योपैथी अस्पताल। छोटे से भवन में एक ही अस्पताल का संचालन संभव है।
इस सम्बंध में डीएचओ डॉ. मनीषा अवस्थी ने बताया कि जगह के आभाव में ताखा में अस्पताल को शिफ्ट किया है। अपना भवन मिलने पर अपने मूल स्थान पर संचालित होगा। फिलहाल अस्पताल को सबरहद में अपने भवन की तलाश है, और यहां के ग्रामीणों को होम्योपैथी अस्पताल वापस आने की आशा है, देखना ये है कि जिम्मेदार ग्रामीणों की समस्या का समाधान करने में कितना कारगर साबित हो पाते हैं।