बधाई मांगने पहुंची किन्नर के प्राइवेट पार्ट में प्रधान ने डाले मिर्च 

बधाई मांगने पहुंची किन्नर के प्राइवेट पार्ट में प्रधान ने भरे मिर्च 
बधाई मांगने पहुंची किन्नर के प्राइवेट पार्ट में प्रधान ने भरे मिर्च 

#जौनपुर में बधाई मांगने पहुंची किन्नर के प्राइवेट पार्ट में प्रधान ने भरे मिर्च 

JAUNPUR CRIME :यूपी के जौनपुर से एक बेहद शर्मनाक घटना सामने आई है जहा बधाई मांगने पहुंची किन्नरों पर अराजक तत्वों के सह पर प्रधान ने किन्नरों के प्राइवेट पार्ट में मिर्च डाल दिया मामला बरसठी थाना क्षेत्र के सुखलालगंज का बताया जा रहा है जहा  किन्नर समाज के एक समूह पर गांव के प्रधान और उनके साथियों ने लाठी-डंडों से हमला कर दिया। पीड़ित किन्नर बबली ने आरोप लगाया है कि प्रधान आशा किन्नर ने गांव वालों के साथ मिलकर यह हमला करवाया, जिसमें कई किन्नर गंभीर रूप से घायल हो गए। इस हमले की वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जिसमें किन्नरों को स्कॉर्पियो गाड़ी से जबरन उठाया जा रहा है।


पीड़ित किन्नरों का आरोप है कि उन्हें गाड़ी में भरकर एक कमरे में ले जाया गया,जहां उनके साथ अमानवीय बर्ताव किया गया। उनके प्राइवेट पार्ट्स पर चोट पहुंचाई गई और मिर्च भरने जैसी घिनौनी हरकतें की गईं। यह घटना उस समाज पर होने वाले शारीरिक और मानसिक अत्याचार की चरम सीमा को दर्शाती है, जिन्हें भारतीय संविधान समान अधिकार और सम्मान प्रदान करता है।


बबली किन्नर की शिकायत पर पुलिस ने सभी घायलों को जिला अस्पताल भेजकर मेडिकल परीक्षण करवाया है। लेकिन अभी तक किसी पर मामला दर्ज नहीं हुआ है। पीड़ित किन्नरों ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि अगर उन्हें जल्द इंसाफ नहीं मिला, तो वे अपने न्याय के लिए आंदोलन करेंगे। यह घटना केवल एक आपराधिक कृत्य नहीं,बल्कि संविधान में दिए गए सम्मान,समानता और अवसर के अधिकार का सीधा उल्लंघन है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 से 21 तक हर नागरिक को गरिमा के साथ जीने का अधिकार देता है, जिसमें किन्नर समाज भी शामिल है। लेकिन इस घटना ने दिखा दिया है कि किस तरह समाज का एक तबका आज भी उन्हें दोयम दर्जे का नागरिक मानता है।


सवाल यह है कि आखिर कब तक किन्नर समाज को इस तरह की बर्बरता और भेदभाव सहना पड़ेगा? क्या प्रशासन और समाज इनकी पीड़ा को समझने के लिए तैयार हैं? संविधान ने तो इन्हें सम्मान और समान अधिकार दे दिए हैं, लेकिन समाज कब उन्हें इस सम्मान का हिस्सा बनाएगा? इस घटना ने फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि कानून के रखवाले कब जागेंगे और समाज के सबसे हाशिए पर खड़े वर्ग को इंसाफ देंगे। कानून और संविधान से अधिक समाज की सोच में बदलाव जरूरी है। जब तक किन्नर समाज को समाज का बराबरी का हिस्सा नहीं माना जाएगा, तब तक इस तरह की घटनाएं सामने आती रहेंगी। यह सिर्फ किन्नर समाज की लड़ाई नहीं, बल्कि उस इंसानियत की लड़ाई है,जो हर किसी को सम्मान और बराबरी का हक देती है।

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