वार्षिक फीस सहित अन्य गैर जरूरी फीस लेकर बढा रहे अभिभावकों के ऊपर भार
- सुविधा के नाम पर जारी है शोषण, नौसिखिया चालक डग्गामार वाहन से ढोते हैं बच्चे
- दीवारों पर बड़े-बड़े होर्डिंग बैनर लगाकर प्रचार में करते हैं लाखों का खर्च
JAUNPUR NEWS खेतासराय (जौनपुर) क्षेत्र में इन दिनों शिक्षा के नाम पर लूट मची हुई है। अभिभावक अपने मासूम बच्चों के भविष्य को संवारने के चक्कर में बेचारा बनकर इनका शिकार हो रहे हैं। ऐसे लोगों पर जिम्मेदार भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। अच्छी शिक्षा के नाम पर अभिभावक को कथित निजी स्कूल अपने जाल में फंसाकर शोषण कर रहे हैं।
वर्तमान समय में शिक्षा का बाजारीकरण हो रहा है। नया सत्र चालू होते ही यह कार्य तेजी से गति पकड़ लेता है। बहकावे में आकर अभिभावक इसका शिकार हो रहे हैं और निजी विद्यालयों के ड्योढ़ी पर शिक्षा व्यवस्था दम तोड़ रही है। इस तरह बेतहाशा फीस वृद्धि व मनमानी किताब के मूल्यों से बच्चों को पढ़ाना अभिभावकों के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ा दे रही है। शिक्षा विभाग के जिम्मेदार मौनव्रत धारण किए हैं।
शिक्षा मानव विकास का मूल साधन है। इसके द्वारा मानव की जन्मजात शक्तियों का विकास, उसके ज्ञान एवं कौशल में वृद्धि, व्यवहार में परिवर्तन किया जा सकता है। उसे सभ्य व योग्य नागरिक बनाया जाता है। बच्चों के अंदर बहुत सी मानसिक शक्तियां विद्यमान रहती हैं। शिक्षक इन अंतर्निहित शक्तियों को प्रस्फुटन करने में सहायता प्रदान करता है। इसलिए शिक्षक को राष्ट्र निर्माता भी कहा जाता है। जिस प्रकार शिक्षक के होंगे, उसी प्रकार के नागरिक होंगे और उसी प्रकार राष्ट्र का निर्माण होगा।
कस्बा खेतासराय व आस-पास के क्षेत्रों में जहां बरसाती मेढ़क की तरह दिखाई देने वाले निजी विद्यालय अधिकतर गैर मान्यता प्राप्त हैं? वह अभिभावकों का शोषण करने में कोताही नहीं बरत रहे हैं। निजी विद्यालय व इंग्लिश मीडियम स्कूलों में केरला आदि जगहों से शिक्षकों से पढ़ाई के नाम पर सिर्फ बच्चों के भविष्य के साथ धड़ल्ले से खिलवाड़ किया जा रहा है। बोले-भाले अभिभावक अपने बच्चों का भविष्य संवारने के चक्कर में इन ठगों का शिकार हो रहे और जिम्मेदारों को इसकी परवाह नहीं है। सरकार की सख्ती के बावजूद शिक्षा का अधिकार अधिनियम की सरेराह धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। शिक्षा माफिया नौनिहालों के भविष्य के साथ जमकर खिलवाड़ करने में जुटे हुए हैं।
योजना के मुताबिक हर वर्ष नया सत्र शुरू होते ही किताबों का पैटर्न बदल दिया जाता है, बच्चे अगली कक्षा में जाते हैं तो उनका ड्रेस भी बदलता रहता है। किताब स्कूल से ही देने का नियम है, बच्चों को ले आने और ले जाने व बढ़िया सुविधा के नाम पर आंख में धूल झोककर पैसे ऐंठ लिया जा रहा है। कम पैसे में नौसिखिया चालकों से डग्गामार वाहनों द्वारा बच्चों की जान जोखिम में डालकर ढोने का काम बसूरती से जारी है। इन डग्गामार वाहनों का न तो कोई फिटनेस है, न ही आपात स्थिति में कोई सुरक्षा इंतज़ाम है। कई बार हादसा भी हो चुका है। लेकिन इनके खिलाफ आज तक एआरटीओ ने भी कोई कठोर कार्यवाही नहीं की, न ही शिक्षा विभाग से कोई अभियान चलाकर रोकने का काम किया गया।
फिलहाल क्षेत्र में अच्छी शिक्षा के नाम निजी स्कूल नौनिहालों की जिन्दगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। इनके खिलाफ कई बार शिकायत भी हुई, लेकिन आज तक कोई असर नहीं देखने को मिला। कहना बेमानी नहीं होगा कि ऊपर से लेकर नीचे तक सब मिल बांट कर खाने के चक्कर नौनिहालों के जिन्दगी को तबाह करने में लगे हैं।