रीढ़ की हड्डी के पास की जगह संकरी होने पर होता है स्पाइनल स्टेनोसिस

रीढ़ की हड्डी के पास की जगह संकरी होने पर होता है स्पाइनल स्टेनोसिस
रीढ़ की हड्डी के पास की जगह संकरी होने पर होता है स्पाइनल स्टेनोसिस

जौनपुर। स्पाइन सर्जन पारम्परिक स्पाइन सर्जरी प्रक्रिया का विकल्प चुन सकता है जिसमें रीढ़ की हड्डी के साथ एक चीरा लगाना शामिल है। सर्जन रीढ़ की हड्डियों और रीढ़ की हड्डी तक पहुंचने के लिये मांसपेशियों एवं नरम ऊतकों को एक तरफ ले जाता है। स्पाइनल फ्यूजन तब होता है जब सर्जन दो कशेरूकाओं के बीच हड्डी जैसा पदार्थ डालता है। ऐसा इसलिये किया जाता है, ताकि दो कशेरूकाओं को जोड़ा जा सके और उनके बीच किसी भी तरह की हलचल को खत्म किया जा सके। यह प्रक्रिया कई कारणों से की जा सकती है। उक्त बातें नगर के मुरादगंज पावर हाउस के पास स्थित मधुरम न्यूरो हास्पिटल के संचालक डा. राहुल श्रीवास्तव ने पत्र—प्रतिनिधि से हुई एक भेंट के दौरान कही।


साथ ही उन्होंने आगे बताया कि स्पाइनल फ्यूजन का उपयोग अस्थिर रीढ़, रीढ़ की किसी भी असामान्यता और हर्नियेटेड डिस्क के उपचार के लिये किया जाता है जो वयस्कों में बहुत आम है। जब भी आप सर्जरी के बारे में सोच रहे हों तो किसी अनुभवी न्यूरो सर्जन से सलाह लेना न भूलें। वे मरीजों को सभी चिकित्सा शर्तों को समझने और मौजूदा पीठ दर्द का समाधान खोजने में मदद करने के लिए मौजूद हैं। उन्हें आपको राहत पाने के सभी तरीके दिखाने दें। इसका मतलब फिजियोथेरेपी, व्यायाम, दवा यहां तक कि सर्जरी भी हो सकती है। आप और आपका सर्जन ही आपकी सटीक स्थिति को जानते हैं जो उचित समाधान तैयार कर सकते हैं।


एम.बी.बी.एस., एम.एस., एम.सीएच. डिग्रीधारी न्यूरो सर्जन ने बताया कि स्पाइनल स्टेनोसिस तब होता है जब आपकी रीढ़ की हड्डी के आस-पास की जगह बहुत संकरी हो जाती है। यह आपकी रीढ़ की हड्डी और/या उससे निकलने वाली नसों को परेशान करता है। स्पाइनल स्टेनोसिस के चलते पीठ या गर्दन में दर्द, हाथों या पैरों में झुनझुनी जैसे लक्षण होते हैं। इसके कई कारण हैं। साथ ही उपचार के कई विकल्प भी हैं। रीढ़ की हड्डी का आकार बिगड़ना, रीढ़ की हड्डी में संक्रमण, गम्भीर चोट लगना, रीढ़ के ट्यूमर सहित कुछ अन्य रीढ़ की हड्डी से जुड़ी समस्या होती हैं। इस स्थिति में आपको स्टेनोसिस और हर्नियेटेड डिस्क के लिये सर्जिकल इलाज की आवश्यकता हो सकती है।


डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ एवं लोकनायक अस्पताल दिल्ली में सीनियर रेजीडेंट के रूप में सेवा दे चुके डा. श्रीवास्तव ने बताया कि अधिकांश लोग न्यूरो सर्जरी को मस्तिष्क की सर्जरी समझते हैं लेकिन यह इससे कहीं अधिक है। यह चिकित्सा विशेषज्ञता है जो मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी, रीढ़ की हड्डी सहित शरीर के सभी भागों में परिधीय तंत्रिकाओं की चोट या रोग/विकार वाले रोगियों के निदान और उपचार से सम्बन्धित है। न्यूरो सर्जरी पद्धतियां आधुनिक न्यूरो सर्जरी निदान और उपचार में विभिन्न इमेजिंग विधियों का उपयोग किया जाता है। इनमें कम्प्यूटर असिस्टेड इमेजिंग कम्प्यूटेड टोमोग्राफी (सीटी), मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (एमआरआई), पॉज़िट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी (पीईटी), मैग्नेटोएन्सेफेलोग्राफी (एमईजी) और स्टीरियोटैक्टिक रेडियोसर्जरी शामिल हैं। अन्त में उन्होंने कहा कि उपरोक्त सम्बन्धित समस्याएं आने पर तत्काल योग चिकित्सक से सलाह अवश्य लेना चाहिये।