#Taste of kebab biryani is in danger, government will ban it ,In up
यूपो के लखनऊ की कबाब बिरयानी के स्वाद पर खतरे की घंटी बजनी शुरू होने वाली है ,कोयले की भट्ठियों-तंदूर का नगर निगम करेगा सर्वे ,बैन की तैयारी ,उत्तर प्रदेश का लखनऊ शहर अपनी तहजीब और ज़ायके के लिए प्रसिद्ध है यहां के पारंपरिक खान पान आज भी कोयले की भट्टियों और तंदूर में बनाए जाते हैं लेकिन बढ़ते वायु प्रदूषण के चलते नगर निगम ने अब कई रेस्टोरेंट मालिको से बातचीत करते हुए प्रस्ताव दिए हैं जिसमे नए तरीके अपनाए जाएं यहां का जायका भी लाजवाब है जो भी लखनऊ आता है, यहां लखनऊ की कबाब बिरयानी और कबाब का कायल हो जाता है लखनवी अंदाज और लजीज पकवान इसकी विरासत में शामिल हैं, लेकिन आने वाले कुछ ही दिनों में इसके जायके पर असर पड़ सकता है दरअसल, वायु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व एनजीटी की सख्ती के बाद होटल, रेस्टोरेंट और ढाबों में दहकने वाली तंदूर की भट्ठियों पर रोक लगाने की तैयारी है. वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों में ये भट्ठियों भी शामिल है. इसके बाद नगर निगम होटल व रेस्टोरेंट का सर्वे करा रहा है।
अनुमान है कि राजधानी में करीब तीन हजार से अधिक कोयले की भट्ठियां हटा दी जाएंगी. नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने लखनऊ की एयर क्वालिटी उसकी जिम्मेदारी लखनऊ नगर निगम की है एयर क्वालिटी में 2017 से भारत सरकार द्वारा कई कदम उठाए गए हैं जिसे हम एयर क्वालिटी को बेहतर करें और स्वच्छ हवा हम दे सके
अब हमें यह भी सोचना है कि हम किसी को आर्थिक नुकसान ना पहुंचाएं और हमने टेरी से स्टडी करवाया था लखनऊ जो की इंडो गगनेटिक प्लेन में आता है की पॉल्यूशन के क्या कारण है इसमें हमें तमाम चीज ज्ञात हुई जिसमें रोड पर उड़ने वाले धूल कारण है ट्रैफिक के कारण है और हर चीज के लिए अलग-अलग कदम उठाए गए और टेरी ने एक कारण यह भी बताया की *लखनऊ में लगभग तीन हजार के करीब कोयले की भट्टीया है और अलग-अलग जगह से मार्केट का सर्वे किया और जब कोयला जलता है तो उसमें काम करने वाले लोगों को भी दिक्कत होती है और जो लोग पास बैठे हैं उनको भी दिक्कत होती है और टेरी के सुझाव पर हम इलेक्ट्रिक भट्टीया और गैस भट्टी लगाने का प्रस्ताव रखे हैं।
इस प्रस्ताव के आने के बाद विश्व प्रसिद्ध टुंडे कबाब के मालिक उस्मान ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बताया
हम लंबे समय से कबाब और पराठा गैस चूल्हे पर बनाते हैं मगर चिकन टिक्का,मलाई टिक्का,फिश टिक्का ये सब कोयले की तंदूर पर ही बनता है गवर्नमेंट कोई पॉलिसी लाए जिस से मज़ा बरकरार रहे और जो बर्नर अभी इलेक्ट्रिक या गैस वाले आ रहे हैं वह अभी इतने सक्सेस नहीं है और अगर हम शिरमाल रोटी बनाते हैं तो उसमें भट्टी पर पानी डाल आज को हल्का करते हैं मगर यह गैस भरने पर नहीं किया जा सकता है साथ ही जो स्वाद का सोंधापन है वह नहीं रहेगा मगर जो मजा तंदूर पर रहता है वह नहीं रहेगा और दुबई वगैरह में सिगड़ी पर बनती है कुछ ऐसी व्यवस्था यह लाई जाए जिसके साथ हम भारतीयों को चाय भी तंदूर की ही अच्छी लगती है भट्ठियों वाली स्वाद के पीछे लोग ज्यादा पसंद करते है ।