पानी की बाल्टी में डूबकर दो वर्षीय मासूम की दर्दनाक मौत के बाद गांव में पसरा मातम
- खेतासराय थाना क्षेत्र के चकमारूफपुर गांव की हृदयविदारक घटना
खेतासराय (जौनपुर) खेतासराय थाना क्षेत्र के चकमारूफपुर गांव में मंगलवार को दोपहर एक दर्दनाक हादसे ने पूरे गांव को गमगीन कर दिया। गांव के निवासी सतीश कुमार की दो वर्षीय इकलौती पुत्री अनिका खेलते-खेलते घर के बाहर नल के पास रखी पानी भरी बाल्टी में गिर गई, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। यह हादसा तब हुआ जब परिवार के घर के अन्दर व्यस्त थे।
घटना की जानकारी मिलते ही परिजनों में कोहराम मच गया। मां अंजू बिन्द का रो-रोकर बुरा हाल है। पड़ोसियों ने बताया कि घटना के बाद से वह कई बार बेहोश हो चुकी हैं और लगातार बेसुध अवस्था में हैं। पिता सतीश कुमार गमगीन स्वर में बार-बार यही कह रहे थे, काश! एक पल पहले देख लिया होता तो मेरी बिटिया बच जाती।
घर में पसरा मातम, ग्रामीण भी स्तब्ध
अनिका की मौत की खबर फैलते ही गांव में शोक की लहर दौड़ गई। बड़ी संख्या में ग्रामीण सतीश के घर पहुंचकर ढांढस बंधाने लगे, लेकिन इस घटना ने हर किसी की आंखें नम कर दीं। मासूम की मुस्कुराती तस्वीरें और उसकी भोली शरारतें अब सिर्फ यादें बनकर रह गईं। ग्रामीणों ने बताया कि अनिका बेहद चंचल और प्यारी बच्ची थी। वह हर किसी की आंखों का तारा थी।
गहरे दुःख में डूबा परिवार, गमगीन माहौल में अंतिम संस्कार
शाम होते-होते परिजनों ने बच्ची का अंतिम संस्कार कर दिया। अंतिम संस्कार के समय पूरा गांव मौजूद रहा और हर आंख नम थी। एक ग्रामीण ने कहा, ऐसी मौत बहुत ही दर्दनाक होती है। यह कोई सामान्य घटना नहीं, बल्कि बच्चों की सुरक्षा को लेकर हमारी लापरवाही का परिणाम है।
खुले जल स्रोत बन सकते हैं बच्चों के लिए जानलेवा
इस घटना के बाद ग्रामीणों के बीच भी चिंता की लहर फैल गई है। कई लोगों ने कहा कि अब वे अपने घरों में पानी से भरे बर्तनों, बाल्टियों और टंकियों को ढक कर रखने का विशेष ध्यान रखेंगे। विशेषज्ञों के अनुसार, छोटे बच्चों के लिए एक बाल्टी पानी भी जानलेवा साबित हो सकता है, क्योंकि उनके लिए उसमें गिरकर उठ पाना संभव नहीं होता।
दो से पाँच वर्ष की आयु में बच्चों में जिज्ञासा बहुत अधिक होती है। वे हर चीज को छूकर, देखकर और समझकर जानना चाहते हैं। ऐसे में घर में रखे पानी के बर्तन, टंकी, हौज, या बाल्टी आदि में गिरने का खतरा बना रहता है। माता-पिता को चाहिए कि इस उम्र में बच्चों को कभी भी अकेला न छोड़ें, विशेषकर जब घर में पानी भरे बर्तन खुले हों।
अनिका की मौत केवल एक मासूम की मौत नहीं, बल्कि समाज के लिए एक गहरी चेतावनी है। यह घटना बताती है कि एक पल की लापरवाही कैसे जीवनभर की पीड़ा बन सकती है। सभी बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देना चाहिए और अपने घरों को सुरक्षित बनाएं। प्रत्येक अभिभावक को यह समझने की आवश्यकता है कि छोटे-छोटे एहतियात बड़े हादसों को रोक सकते हैं।