Tuesday, April 22, 2025
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मछली शहर विधायक रागिनी सोनकर की पहल रंग लाई

बीएचयू में पीएचडी प्रवेश के द्वितीय चरण को मिली हरी झंडी

  • डॉ रागिनी छात्र के समर्थन में खुद धरने पर बैठी, राष्ट्रपति और मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
  • केंद्रीय शिक्षा मंत्री और यूजीसी चेयरमैन से मुलाकात कर अवगत कराया

जौनपुर। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया में महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने द्वितीय चरण की प्रवेश प्रक्रिया आरंभ करने की घोषणा की है। पहले चरण के उपरांत बची हुई रिक्त सीटों को भरने हेतु विश्वविद्यालय ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से आग्रह किया था, जिसे अब स्वीकृति प्राप्त हो गई है। दलित छात्रा शिवम सुनकर के धरने पर बैठने और पूरे आंदोलन को मछली शहर विधायक डॉक्टर रागिनी सोनकर द्वारा राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री केंद्रीय शिक्षा मंत्री और यूजीसी के अध्यक्ष से मुलाकात करने पर मामले ने तूल पकड़ा। इसके बाद यूजीसी से अनुमति शनिवार को दे दी गई। अनुमति मिलने के बाद अब RET मुक्त श्रेणी की रिक्त सीटों को RET श्रेणी में हस्तांतरित किया जाएगा, जिससे प्रतीक्षा सूची में शामिल योग्य अभ्यर्थियों को प्रवेश का अवसर मिल सकेगा। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि उनका प्रयास है कि कोई भी सीट रिक्त न रह जाए और योग्य शोधार्थियों को विश्वविद्यालय में अध्ययन एवं शोध का अवसर प्राप्त हो।


इस निर्णय के पीछे जौनपुर की मछलीशहर विधानसभा से विधायक डॉ. रागिनी सोनकर की सक्रिय भूमिका रही। उन्होंने बीएचयू में दलित छात्र के धरने पर बैठे होने की जानकारी होने पर सबसे पहले उप्र के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस विषय पर ध्यान आकर्षित किया, तत्पश्चात दो बार धरना स्थल पर पहुँचकर छात्र की मांगों का समर्थन किया। साथ ही कैंडल मार्च भी किया। बीएचयू के कार्यवाहक कुलपति और कुलसचिव के साथ मिलकर उन्होंने समस्या के समाधान करने की अपील की।। विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा समाधान न करने पर दिल्ली पहुंचकर उन्होंने राष्ट्रपति को भी पत्र लिखा और स्वयं उसे राष्ट्रपति भवन में जाकर रिसीव कराया। इसके बाद विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष प्रोफेसर एम. जगदीश कुमार के साथ मुलाकात कर पूरी समस्या से अवगत कराया। साथ ही कहा कि शिक्षण संस्थानों में इस तरह का जातिगत भेदभाव गलत है जो की सामाजिक और प्राकृतिक न्याय दोनों के खिलाफ है। उच्च संस्थान बाबा भीमराव अंबेडकर के संविधान और दलितों को उच्च शिक्षा से रोकने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं। इस तरह के कृत्य हमें गुजरे 100 साल पीछे हमारे पूर्वजों की याद दिला रही है कि वह कैसे रहे होंगे? इसके दूसरे दिन बाद वह केंद्रीय उच्च शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात कर दलित छात्रों के साथ हो रहे अन्याय की शिकायत की।

कहा कि जब पढ़ाई का यह हाल है तो दलितों के साथ उच्च शिक्षा में नौकरी का क्या हाल होगा? यह राइट टू एजुकेशन का उल्लंघन है। उच्च शिक्षण संस्थान आज भी विषय और विभागवार रोस्टर बनाकर आरक्षण का उल्लंघन कर रहे हैं। 13 प्वाइंट रोस्टर को लेकर पूरे देश में कई महीने आंदोलन चला था। दलित सांसद और नेताओं की पहल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सदन में 13 पॉइंट रोस्टर लागू करने पर रोक लगा दी थी। लेकिन उच्च शिक्षा संस्थानों में दलितों को शिक्षा और नौकरी से रोकने के लिए इस तरह की कोशिशें की जा रही है जिसका हम लोग पुरजोर विरोध करेंगे। रागिनी सोनकर का कहना है कि पूरे विश्वविद्यालय या संकाय को एक यूनिट मानकर रोस्टर बनाना चाहिए तभी सबको आरक्षण का लाभ मिल सकता है।


डॉ. रागिनी सोनकर की इस पहल से विश्वविद्यालय के न केवल दर्जनों शोधार्थियों को नया अवसर मिला है, बल्कि विश्वविद्यालय के पठन-पाठन और शोध के माहौल को भी मजबूती मिलेगी। विद्यार्थियों एवं शैक्षिक जगत में इस निर्णय का स्वागत किया जा रहा है।

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