कृष्ण-रुक्मिणी विवाह की झांकी देख श्रद्धालु मंत्रमुग्ध
प्रयागराज। बदल का पूरा बरेठी में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन भगवान श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह का प्रसंग सुनाया गया। भगवान श्रीकृष्ण के विवाह प्रसंग का वर्णन सुन श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे। व्यास पीठ पर विराजमान व्यास बद्री नारायण शुक्ल, चंदन जी महाराज ने रास पांच अध्याय का वर्णन करते हुए कहा कि उनमें गाये जाने वाले पंच गीत भागवत के पंच प्राण हैं जो भी ठाकुरजी के इन पांच गीतों को भाव से गाता है वह भव पार हो जाता है।कथा में भगवान का मथुरा प्रस्थान, कंस का वध, महर्षि संदीपनी के आश्रम में विद्या ग्रहण करना, कालयवन का वध, उधव गोपी संवाद, ऊधव द्वारा गोपियों को अपना गुरु बनाना, द्वारका की स्थापना एवं रुक्मणी विवाह के प्रसंग का संगीतमय भावपूर्ण पाठ किया गया।भगवान श्रीकृष्ण रुक्मणी के विवाह की झांकी ने सभी को खूब आनंदित किया। कथा के दौरान भक्तिमय संगीत ने श्रोताओं को आनंद से परिपूर्ण किया। कथावाचक ने भागवत कथा के महत्व को बताते हुए कहा कि जो भक्त प्रेमी कृष्ण-रुक्मणी के विवाह उत्सव में शामिल होते हैं उनके वैवाहिक जीवन मे जो समस्या होती हैं हमेशा के लिए समाप्त हो जाती हैं। महाराज जी ने कहा कि जीव परमात्मा का अंश हैं। कथा के क्रम में चंदन महाराज जी ने कहा कि महारास में भगवान श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाकर गोपियों का आह्वान किया और महारास लीला के द्वारा ही जीवात्मा परमात्मा का ही मिलन हुआ।जीव और ब्रह्म के मिलने को ही महारास कहते है। उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण ने 16 हजार कन्याओं से विवाह कर उनका उद्धार किया। भगवान श्रीकृष्ण रुकमणि के विवाह की मंत्रमुग्ध झांकी देख श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया।इस अवसर पर मुख्य यजमान मोहन मिश्रा, दलीप मिश्रा, चन्द्र शेखर मिश्रा, जगदीश मिश्रा आदि लोग मौजूद रहे।





