Friday, November 22, 2024
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पूर्वांचल विश्वविद्यालय के आर्यभट्ट सभागार में ‘युवाओं में राम’ को जागृत करने के उद्देश्य से भव्य वैचारिक संगोष्ठी का हुआ अयोजन।

रामभक्ति से राष्ट्रभक्ति: रमेश,प्रतिकूलता में अनुकूलता का दर्शन करने वाला युवा राम: शान्तनु महाराज

जौनपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महाविद्यालय विद्यार्थी कार्य विभाग द्वारा पूर्वांचल विश्वविद्यालय के आर्यभट्ट सभागार में प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा के उपरांत ‘युवाओं में राम’ को जागृत करने के उद्देश्य से एक भव्य वैचारिक संगोष्ठी युवाओं में राम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ भारत माता के चित्र पर पुष्प अर्पण एवं दीप प्रज्वलन से किया गया। संगोष्ठी के प्रथम सत्र में युवाओं को संबोधित करते हुए डॉ. राजकुमार ने कहा कि इस संगोष्ठी का आयोजन विश्वविद्यालय में कराये जाने का उद्देश्य युवाओं को संदेश देना है कि भगवान राम जिन आदर्शों पर चलकर अपने जीवन को जिये हैं उन आदर्शों का अनुसरण करते हुए हमारे युवाओं को विकसित भारत का निर्माण करना है। कार्यक्रम के प्रथम सत्र में महाविद्यालय विद्यार्थी प्रमुख मनीष प्रताप ने अतिथि परिचय कराया।

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प्रथम सत्र में उद्बोधन देते हुए प्रान्त प्रचारक रमेश जी ने कहा कि सर्वाधिक ऊर्जा शक्ति युवाओं में निहित है। जब भी देश में गंभीर चुनौतियां आई है उनके समाधान में युवाओं का योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि राम सृष्टि के नियंता हैं, राम देश की आत्मा हैं, राम एक परम्परा हैं, संस्कृति हैं, राम को राष्ट्र के रूप में, जीवन के एक मूल्य के रूप में जाना जाता है। जब असुरि प्रवृत्तियों का प्रभाव पड़ता है तब भगवान राम का पदार्पण होता है। मर्यादा के रूप में कैसे रहते हैं वह राम हैं, कैसे मर्यादा में रखा जाता है वह कृष्ण है। राम कथा का केवल श्रवण ही नहीं अनुसरण भी करना चाहिये तभी राष्ट्र निर्माण होगा। अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. अरुण कुमार मिश्रा ने कहा कि भगवान राम हमारी प्रेरणा हैं। युवा शक्ति भगवान राम के आदर्शों का अनुसरण करेगी तो हमारा राष्ट्र आगे बढ़ेगा। कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में डा. कुलदीप जी प्रान्त बौद्धिक प्रमुख काशी प्रान्त ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना पर प्रकाश डालते हुए कहा कि युवाओं में हनुमान जी शक्ति को देखना और जामवन्त की तरह उनकी युवा शक्ति को जगाना है। कार्यक्रम के ​तृतीय सत्र में प्रख्यात कथावाचक आचार्य शान्तनु महाराज ने कहा कि युवाओं को साधु जैसा गुण एकत्र करने वाला होना चाहिये। युवाओं को श्रीराम के आदर्श चरित्र से समुद्र जैसी गम्भीरता एवं हिमालय जैसा धैर्य, क्रोध पर नियंत्रण, प्रतिकूलता एवं अनुकूलता, निस्वार्थ मित्रता, खुद श्रेय न लेकर अपने साथियों को दे देना जैसे गुणों को प्रभु श्रीराम से आत्मसात करना चाहिये। उन्होंने कार्यक्रम की समाप्ति पर बहुत सारे विद्यार्थियों के इस विषय पर किये गये प्रश्नों का उत्तर देकर उनकी जिज्ञासाओं को शान्त किया। उन्होंने कहा​ कि 22 जनवरी को भारत की आत्मा स्वतंत्र हुई है। अध्यक्षीय उद्बोधन में जौनपुर विभाग के सह विभाग संघचालक अविनाश पाथर्डीकर ने कहा कि अयोध्या में भव्य राम मन्दिर समाज के एकीकरण में महत्वपूर्ण योगदान देगा। इसी भावना को जागृत करने के निमित्त इस एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का समापन भारत माता एवं प्रभु श्रीराम की आरती से किया गया। कार्यक्रम में विभाग प्रचारक अजीत, जिला प्रचारक रजत, प्रान्त प्रचारक प्रमुख रामचंन्द्र, विभाग कार्यवाह नितेश, जिला कार्यवाह रजनीश, सह जिला कार्यवाह रविन्द्र, डॉ. अरुण कुमार मिश्रा, भारत विकास ​परिषद शौर्य के अध्यक्ष डा. सन्दीप पाण्डेय, डॉ. इन्द्रेश गंगवार, डॉ. इन्द्रजीत, डॉ. दिनेश, डॉ. प्रमोद यादव, आचार्य विक्रम देव, नृपेन्द्र सिंह, आचार्य अजय प्रताप, डॉ. प्रमोद यादव, डॉ. जान्हवी श्रीवास्तव, अमित निगम, डॉ. राजीव, डॉ. मुक्ता राजे सहित अन्य शिक्षक, कर्मचारी एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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