CROP INSURANCCE :जौनपुर : कृषि विभाग द्वारा शुक्रवार को प्राथमिक विद्यालय सुजियामऊ में किसान पाठशाला का आयोजन किया गया जिसमे प्रधानमंत्री FASAL बीमा, अन्न, एफपीओ एवं डिजिटल क्रॉप सर्वे से किसानों को जागरूक किया गया।
उप परियोजना निदेशक आत्मा डा. रमेश चंद्र यादव ने किसानों को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रकृति की मार से फसलों में होने वाली क्षति से किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना बचाएगी। जनपद में खरीफ की सात फसलों का बीमा किया जाएगा। बीमा की जिम्मेदारी एसबीआई जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को सौंपी गई है। पहले कर्ज से उगाई गई फसलों का खुद बीमा हो जाता था, किंतु अब योजना को ऐच्छिक कर दी गई है। कृषकों के लिए 31 जुलाई तक की तिथि निर्धारित की गई है।
प्राकृतिक आपदाओं से फसलों के नुकसान होने पर किसानों के आर्थिक क्षति की भरपाई करने के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू किया है। जनपद में खरीफ की धान, मक्का, उर्द, बाजरा, ज्वार, तिल और अरहर की फसल का बीमा किया जाएगा, इसके लिए किसानों को प्रीमियम का मात्र दो प्रतिशत का भुगतान करना होगा, बाकी धनराशि सरकार द्वारा दी जाएगी।
ग्राम पंचायत स्तर पर बीमा का लाभ :
अधिसूचित क्षेत्रों में प्रतिकूल मौसमी परिस्थितियों के कारण फसल की बुवाई न कर पाने, असफल बुवाई की स्थिति फसल की बुवाई से कटाई के समयावधि में प्राकृतिक आपदाओं सूखा, बाढ़, जल प्लावन, ओला, भूस्खलन, आकाशी बिजली से आग, तूफान चक्रवात, रोगों, कीटों आदि से खड़ी फसल नष्ट होने पर बीमा का लाभ मिलता है।
व्यक्तिगत फसल बीमा का लाभ: ओलावृष्टि, भूस्खलन,जल प्लावन तथा FASAL की कटाई के बाद आगामी 14 दिनों तक खेत में सूखने के लिए रखी गई फसल की क्षति पर बीमा का लाभ मिलेगा। किसानों को क्षति के 72 घंटे के अंदर संबंधित बैंक,बीमा कंपनी, कृषि विभाग को सूचना देना होगा।
एसएमएस डा. शिवानन्द मौर्य ने बताया कि श्री अन्न की उपयोगिता को देखते हुए इसे सुपर फूड्स की संज्ञा दी जा रही है इसे कम पानी कम उर्वरक कम उपजाऊ जमीन पर पैदा कर अधिक लाभ लिया जा सकता है। किसानों को उनकी उपज का उचित लाभकारी मूल्य दिलाने के लिए किसानों का संगठन (एफपीओ) का गठन कराकर किसानों को आत्म निर्भर किया जा रहा है।
अध्यक्षता पूर्व ब्लाक प्रमुख श्रीपति उपाध्याय तथा संचालन एडीओ एजी अनुराग सिंह ने किया। इस मौके पर प्राविधिक सहायक सर्वेश यादव, कृष्णा नन्द उपाध्याय, प्रधानाचार्य इन्द्रपाल यादव, महेश उपाध्याय, राजेन्द्र प्रसाद, सुरेश, रामप्रसाद आदि किसान मौजूद रहे।