माता-पिता की अज्ञा का पालन करना ही संतान का सबसे पहला धर्म है: डॉ0 अब्दुल कादिर
जौनपुर। नगर के हुसेनबाद में चल रहे रामलीला के मंचन के तीसरे दिन बुधवार की रात सीता हरण, बाली वध और लंका दहन के दृश्य को स्थानीय कलाकारों ने बखूबी निभाई। सीता हरण का मंचन देखकर मौके पर मौजूद दर्शकों आंखे नम हो गयी वही हनुमानजी द्वारा लंका जलाने का सीन देखकर पूरा इलाका जय श्रीराम के नारों से गुंज उठा।
रामलीला का मंचन देखने के लिए मुख्य दर्शक मोहम्मद हसन पीजी कालेज के प्राचार्य डॉ0 अब्दुल कादिर खान और विशिष्ट दर्शक बरिष्ठ पत्रकार राजेन्द्र सिंह और शिक्षक जीवन यादव रहे। इन तीनों विशेष दर्शकों ने रामलीला का मंचन देखा। रामलीला समिति के अध्यक्ष अमित श्रीवास्तव पप्पू मामा समेत कमेटी के पदाधिकारियों ने तीनों का अंग वस्त्रम् और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।
इस मौके पर डॉ0 अब्दुल कादिर खान ने कहा कि भगवान श्रीराम राजा दशरथ के सबसे बड़े पुत्र थे, इस अधिकार से उन्हे अयोध्या की राजगद्दी सौपी जानी थी। लेकिन माता कैकेयी के आदेश का पालन करते हुए उन्होने राजपाट की जगह वनवास चुना। इससे मानव मात्र यह शिक्षा लेनी चाहिए कि माता-पिता की अज्ञा का पालन करना ही संतान का सबसे पहला धर्म है।
आज के समय में मनुष्य में धर्य की कमी पाई जाती है, जो व्यक्ति के लिए कई समस्या खड़ी कर देती है। ऐसे में रामजी की जीवन धैर्य का एक उत्तम उदाहरण है। जब माता कैकेयी ने राम जी को 14 वर्ष का वनवास का आदेश दिया तक प्रभू श्रीराम ने इसे र्धर्य के साथ स्वीकार किया। ऐसे में जरूरत है हम लोग भगवान राम के जीवन के पथ पर चले। रामलीला को सम्पन्न कराने में सुशील श्रीवास्तव, विपिन श्रीवास्तव , हनुमान प्रसाद, विनोद शुक्ला, अजीत श्रीवास्तव, पवन श्रीवास्तव,मोहनजी मिश्रा, सचिन श्रीवास्तव,सुनील मिश्रा, नीरज मिश्रा,दीपक मिश्रा ने मुख्य भूमिका निभाई।